प्रधानमंत्री को निकाय कर्मियों ने भेजी चिट्ठी

लखनऊ : राज्य सरकार स्तर पर लंबित मांगों का निराकरण न होने से नाराज निकाय कर्मियों ने अब प्रधानमंत्री का दरवाजा खटखटाया है और हस्तक्षेप करने की मांग की है। इसमें 31 दिसंबर 2001 तक कार्यरत दैनिक वेतन, वर्कचार्ज और संविदा कर्मचारियों का विनियमितीकरण करने के साथ ही लंबित 17 मांगें भी शामिल हैं।

उत्तर प्रदेश स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष शशि कुमार मिश्र ने बताया कि राज्य सरकार से कई चरण की वार्ता के बाद भी प्रमुख मांगों पर कोई सकारात्मक निर्णय न होने से निकाय कर्मचारी नाराज हैं। उनका कहना है कि राज्य सरकार ने उन दैनिक वेतन, वर्कचार्ज और संविदा कर्मचारियों को विनियमितीकरण करने आदेश दिया था, जो 31 अगस्त 2001 तक सेवा में थे। 24 फरवरी 2016 को जारी शासनादेश के तहत सभी विभागों के दैनिक वेतन, वर्कचार्ज और संविदा कर्मचारियों को विनियमितीकरण कर दिया गया है, लेकिन निकाय कर्मचारियों को यह लाभ नहीं दिया गया। इस लाभ से पूरे प्रदेश में 558 कर्मचारी वंचित हैं।

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इसके अलावा प्रदेश के अकेंद्रीयत निकाय कर्मचारियों की सेवा संबंधित लंबित मांगों और छठें वेतन आयोग की संस्तुति के क्रम में व्याप्त सभी संवर्ग विसंगतियों को को दूर किया जाना है। सातवें वेतन आयोग के लागू होने से निकायों पर वित्त भार बढ़ा है, लिहाजा राज्य वित्त आयोग से मिलने वाली राशि को बढ़ाया जाए और कटौती बंद की जाए। इसी तरह जलकल कर्मियों को भी राज्य वित्त आयोग से वेतन राशि दी जाए।

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अकेंद्रीयत राजस्व संवर्ग के पुनर्गठन एवं पदोन्नति संबंधित लंबित प्रकरणों का हल निकालते हुए विभागीय शासनादेश जारी किया जाए। वाहन भत्ता एवं अन्य भत्तों के लिए जारी शासनादेश में संशोधित कर पुन: वेतन समिति 2008 की संस्तुतियों के आधार पर की जाए। महासंघ अध्यक्ष ने बताया कि इसी तरह कर्मचारियों से जुड़ी 17 मांगें लंबित हैं और इसके लिए प्रधानमंत्री को भी पत्र भेजा गया है।

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