मोदी हैं पॉकेटमार, काट ली महिलाओं की जेब

पॉकेटमार मोदीभोपाल| अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (एडवा) की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व सांसद सुभाषिणी अली ने नोटबंदी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर करारा प्रहार किया। उन्होंने मोदी को महिलाओं की पॉकेट मारने का दोषी बताया है। उन्होंने कहा कि पॉकेटमार मोदी ने भोली भाली जनता को ठग लिया है।

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में चल रहे एडवा के 11वें राष्ट्रीय सम्मेलन में हिस्सा लेने आईं सुभाषिणी ने मंगलवार को चर्चा करते हुए कहा, “नोटबंदी का सबसे ज्यादा असर महिलाओं पर पड़ा है, क्योंकि उन्होंने आड़े वक्त के लिए जो बचत की थी, उस रकम को बदलवाने में ही उन्हें कई दिन लग गए। जिनका बैंक खाता नहीं है, वे महिलाएं अब भी सोच में पड़ी हैं कि पुराने नोटों का क्या करें।”

पॉकेटमार मोदी ने महिलाओं को ठगा

उन्होंने कहा, “इस नोटबंदी से उस वर्ग की महिलाओं का सबसे बुरा हाल है, जो मजदूरी करके अपना परिवार चलती हैं। एक तो अब उन्हें काम नहीं नहीं मिल रहा है, वहीं उनके पास जो पैसे थे, उसे बदलवाने मंे ही कई दिन गुजर गए। महिलाओं के लिए प्रधानमंत्री तो पॉकेटमार जैसे हो गए हैं।”

सुभाषिणी से जब पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में अंतर के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, “दोनों की आर्थिक नीतियां एक जैसी हैं और उनमें बेहतर कोई नहीं है। दोनों की नीतियां अमेरिका परस्त हैं। हां, कांग्रेस और भाजपा में सांप्रदायिकता को लेकर कुछ फर्क जरूर है। सांप्रदायिकता को लेकर कांग्रेस की ढुलमुल नीति होती है, जबकि भाजपा पूरी तरह धर्म के आधार पर समाज का ध्रुवीकरण करती है।”

पिछले दिनों केरल के मुख्यमंत्री विजयन के भोपाल प्रवास के दौरान हिंदूवादी संगठनों द्वारा किए गए विरोध और पुलिस द्वारा उन्हें कार्यक्रम स्थल तक न जाने देने की घटना को सुभाषिणी अली ने पुलिस की अक्षमता और राज्य को कलंकित करने वाला बताया।

उन्होंने कहा कि एडवा की सभास्थल तक पहुंचने में केरल के मुख्यमंत्री विजयन को कोई परेशानी नहीं हुई, जबकि वहां सुरक्षा के इंतजाम भी नहीं थे, मगर सोची-समझी साजिश के तहत रात में केरल के 26 एसोसिएशनों द्वारा आयोजित कार्यक्रम में उन्हें जाने से रोका गया। राज्य सरकार ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) को खुश करने के लिए विजयन को कार्यक्रम स्थल तक नहीं जाने दिया।

सुभाषिणी अली ने कहा कि इस घटना से राज्य की छवि को नुकसान पहुंचा है, क्योंकि मानवाधिकार दिवस के दिन ही मानवाधिकार की खिल्ली उड़ाई गई। भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मानसिकता से केरल के अलावा मध्यप्रदेश के लोग भी खुद को अपमानित महसूस कर रहे हैं।

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