पुलवामा हमले से पहले ही पाकिस्तानी सेना ने लिए थे बड़े फैसले

नई दिल्ली। पुलवामा हमले की साजिश में जैश-ए-मोहम्मद के साथ पाकिस्तानी सेना भी पूरी तरह शामिल थी। इसका सबसे बड़ा सुबूत यह है कि लगभग एक महीने पहले पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा के साथ-साथ कश्मीर और पंजाब से जुड़ी सीमा पर सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी थी।

खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट में इसके बारे में जानकारी भी दी गई थी। यही नहीं, खुफिया एजेंसियों ने आइएसआइ की मदद से कश्मीर में बड़े आतंकी हमले, जिसमें आरडीएक्स के इस्तेमाल और सुरक्षा बलों के काफिले को निशाना बनाए जाने के बारे में आगाह किया गया था।

खुफिया एजेंसी से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पुलवामा हमले के बाद सारी खुफिया रिपोर्टों के सूत्र आपस में जुड़ते चले गए हैं। उनके अनुसार जनवरी के मध्य में खुफिया एजेंसियों ने नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास पाक सेना की भारी तैनाती की रिपोर्ट दी थी।

इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि पाक सेना ने अपने सैनिकों की छुट्टियां भी रद्द कर दी हैं। इसके साथ ही सैनिकों के साथ-साथ पाक रेंजरों को तैनात किया जा रहा है। खुफिया एजेंसियों ने आशंका जताई थी कि पाकिस्तानी सेना किसी बड़ी कार्रवाई की तैयारी में है। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, पुलवामा हमले से साफ हो गया है कि पाक सैनिकों की बड़ी संख्या में तैनाती के पीछे भारत की ओर से बदले में सर्जिकल स्ट्राइक जैसी कार्रवाई को रोकना है।

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यही नहीं, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के आकाओं के कुछ टेलीफोन भी इंटरसेप्ट किए गए थे, जिसमें बड़ी कार्रवाई का जिक्र किया जा रहा था। इस संबंध में सुरक्षा एजेंसियों को सचेत भी किया गया था। खुफिया एजेंसियों के पास टुकड़ों में तो हमले की भनक लग गई थी, लेकिन वे असली साजिश की तह तक पहुंचने में नाकाम रहीं।

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