भारत को दर्द देने वाले आतंकी के परिवार ने दिया ऐसा बयान, जिससे सोच में पड़ेगी सरकार

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर हमले में 40 जवानों के शहीद होने पर पूरे देश में आक्रोश है। हमले को अंजाम देने वाला 21 साल का आदिल अहमद डार कश्मीर का ही रहनेवाला था। उसके परिवार भी घटना से बेहद सदमे में है। डार के रिश्तेदार अब्दुल राशिद का कहना है कि कोई भी आखिर इस तरीके से किसी इंसान की जान जाने पर खुश कैसे हो सकता है।

राशिद ने बताया कि आदिल ने अपनी पढ़ाई छोड़ दी थी और वह निर्माणस्थलों पर कभी-कभी काम किया करता था। पिछले साल 19 मार्च को वह अपने भाई समीर डार के साथ गायब हो गया था। उसने अपने घरवालों से कहा था कि वह एक दोस्त से मिलने जा रहा है। वह साइकल लेकर निकला लेकिन कभी वापस नहीं आया। उसके माता-पिता ने पुलिस में उसके गायब होने की रिपोर्ट दर्ज कराई।

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा हमले में शहीद हुए 40 जवानों के पार्थिव शरीर उनके घर पहुंच रहे हैं। आतंकियों की कायराना हरकत से देश में एक तरफ मातम का माहौल है तो दूसरी ओर देश भर में उबाल है। लोग सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं तो दूसरी ओर अपने वीरों की कुर्बानी को भी याद कर रहे हैं। आम जनता के अलावा राजनीति और फिल्म जगत के लोग भी शहीदों को याद करते हुए नमन कर रहे हैं।

कुछ दिन बाद खबर आई कि उनका बेटा उग्रवादियों के साथ शामिल हो गया है। यह जानकर घरवालों को झटका लगा। उन्होंने एक विडियो ऑनलाइन पोस्ट कर बेटे से घर वापस आने की गुजारिश की लेकिन वह काफी आगे बढ़ चुका था। आदिल गुलाम हसन डार का दूसरा बेटा था। गुलाम हसन पुलवामा में घर-घर जाकर कपड़े बेचते हैं। उसका बड़ा भाई लकड़ी का काम करता है और छोटा भाई आरिफ स्कूल में पढ़ता है।

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राशिद ने कहा कि उन लोगों ने कभी नहीं सोचा था कि आदिल इतना कट्टर उग्रवादी बन जाएगा। उन्होंने कहा कि 2015 में आदिल हाफिज हो गया था। उसे पूरी कुरान याद थी और धर्म की ओर उसका झुकाव बढ़ने लगा था। हालांकि, राशिद का कहना है कि 2016 में बुरहान वानी की मौत के बाद पत्थरबाजी के दौरान उसके पैर में पेलेट गन की गोली लग गई थी। शायद उसके बाद ही वह कट्टरपंथी हो गया था।

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