14वें राष्ट्रपति चुने गए रामनाथ कोविंद, कभी नहीं भूल पाएंगे ये हार…

पुरानी हारनई दिल्ली। बीजेपी नेता रामनाथ कोविंद को देश के 14वें राष्ट्रपति चुन लिया गया हैं। कोविंद ने 702044 वोटों के साथ यूपीए की उम्मीदवार मीरा कुमार को लगभग दोगुना वोटों से हराया हैं। वैसे तो राजनितिक गलियारे में पहले से कोविंद की जीत पक्की मानी जा रही थी,  हलाकि रामनाथ कोविंद का राजनितिक सफ़र इतना आसन भी नहीं रहा। भारतीय जनता पार्टी में अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ा, तो उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद 2007 में उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ा, तो एक बार फिर उन्हें हार ही हाथ लगी।लेकिन राष्ट्रपति चुनाव में जीत के बाद रामनाथ कोविंद की पुरानी हार कौन याद करना चाहेगा।

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रामनाथ कोविंद ने मीरा कुमार को भले ही दोगुने वोटों के अंतर से हराया हो लेकिन कोविंद अपना पहला लोकसभा चुनाव बुरी तरह हारे थे। सुप्रीम कोर्ट में वकील रहने के बाद रामनाथ कोविंद को बीजेपी ने पहली बार उन्हेंर 1991 में घाटमपुर से लोकसभा का टिकट दिया था। कोविंद यह चुनाव हार गए थे।

घाटमपुर की लोकसभा सीट से चुनाव लड़ते हुए रामनाथ कोविंद 95,913 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रहे थे। वही जनता दल के केशरी लाल 1,39,560 वोटों के साथ पहले नंबर पर रहे।

90 के दशक के शुरुआती दौर में बीजेपी के पास कई बड़े नेता थे, लेकिन दलित नेताओं की कमी का खामियाजा पार्टी को बार बार भुगतना पड़ रहा था। रामनाथ कोविंद ऐसे में पार्टी को बेहतर विकल्पक लगे और उन्हेंा 1993 में राज्यनसभा भेज दिया गया। पार्टी ने 1999 में एक बार फिर कोविंद को राज्ययसभा भेजा। राज्यगसभा में दूसरा कार्यकाल खत्म  होने के बाद पार्टी ने एक बार कोविंद को सक्रिय राजनीति में उतारने का निर्णय लिया।

विधानसभा चुनाव पीछे रहे गए थे कोविंद

पार्टी ने उन्हें 2007 में उत्तिर प्रदेश की भोगनीपुर सीट से चुनाव लड़ाया, लेकिन इस बार भी उनके हाथ हार ही लगी। 2007 के विधानसभा चुनाव में कोविंद 26,549 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे थे। बसपा ने इस सीट पर बाजी मार ली थी।

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पुरानी राजनितिक हार को अब भूलना चाहेंगे नव-निर्वाचित राष्ट्रपति

भोगनीपुर विधानसभा और घाटमपुर लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार को आज रामनाथ कोविंद याद नहीं करना चाहेंगे। हलाकि, ये सभी बीते दिनों की बाते हो गई है, लेकिन आज राष्ट्रयपति चुनाव में रामनाथ कोविंद को कुल 7 लाख 2 हजार 44 वोट मिले, जबकि मुकाबले में खड़ीं मीरा कुमार को 3 लाख 67 हजार 314 वोट ही पा सकीं। अब ऐसी रिकॉर्ड जीत के बाद कोई पुरानी हार याद करना नहीं चाहेगा।

 

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