पीएम मोदी को मिली चेतावनी, मवेशियों के वध पर लगाया प्रतिबंध तो होंगे गंभीर नतीजे

पीएम नरेंद्र मोदीनई दिल्ली| केंद्र सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने पशु वध प्रतिबंध पर पीएम नरेंद्र मोदी से चेतावनी भरे लहजे में कहा है कि इस तरह की नीतियों का भारत में मवेशी पालन से संबद्ध अर्थव्यवस्था पर ‘प्रतिकूल’ प्रभाव पड़ सकता है। नेशनल एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंस (एनएएएस) के सदस्यों को यहां सोमवार शाम संबोधित करते हुए सुब्रमण्यम ने कहा कि सरकार के पास सामाजिक नीतियां बनाने का अधिकार है, लेकिन इस तरह की नीतियों के अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव पर भी विचार करना जरूरी है।

पीएम नरेंद्र मोदी को चेतावनी

उन्होंने कहा, “डेयरी व मवेशी पालन पर दो बिंदुओं पर अच्छी तरह से विचार करने की जरूरत है। सरकार को सामाजिक नीतियों के चयन का अधिकार है, लेकिन ऐसा करते वक्त इन नीतियों के अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव से भी पूरी तरह से सजग होना चाहिए।”

अर्थशास्त्री ने कहा, “अगर सामाजिक नीतियां मवेशी बाजार की कार्यशैली में बाधक बनती हैं, तो मवेशी पालन की अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव पर विचार किया जा सकता है। इसके लिए उचित विकल्प अपनाना चाहिए।”

उन्होंने जोर देते हुए कहा कि ‘मवेशी पालन की अर्थव्यवस्था को मान्यता देनी ही चाहिए’, क्योंकि ‘आजीविका के इस स्रोत का भविष्य बेकार हो चुके मवेशियों की अंतिम कीमत (टर्मिनल वैल्यू) पर अहम रूप से निर्भर करेगा।’

सुब्रमण्यम ने कहा कि टर्मिनल वैल्यू घटने को दो कारण होंगे। मांस के लिए मवेशियों का इस्तेमाल न होने से आय घटेगी तथा बेकार हो चुके मवेशियों की देखभाल करने में अतिरिक्त राशि खर्च होगी।

अर्थशास्त्री ने कहा, “ऐसा संभव है कि सामाजिक नीतियों का और प्रतिकूल परिणाम सामने आए। बेकार हो चुके मवेशियों की अच्छी तरह से देखभाल करनी होगी, नहीं तो उनमें मुंह तथा खुर में होने वाले रोग फैल सकते हैं, जिससे मवेशियों के स्वास्थ्य को नुकसान होगा और किसानों को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।”

सुब्रमण्यम की यह टिप्पणी पर्यावरण मंत्री हर्षवर्धन के उस बयान के बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा है कि सरकार मवेशी व्यापार तथा वध को लेकर लाए गए नए नियम से होने वाली समस्याओं के प्रति संवेदनशील है और इसे देख रही है।

पर्यावरण मंत्रालय ने पिछले महीने बाजारों में वध करने को लेकर मवेशियों खरीद-बिक्री पर पाबंदी लगा दी थी, जिसकी व्यापक तौर पर आलोचना हुई है।

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