क्या है पिथौरागढ़ के  कोटेश्वर गुफा और मंदिर का  रहस्य, जानें  

रिपोर्ट- प्रदीप मिश्रा

पिथौरागढ़। पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय से 100 किलोमीटर दूरी पर  विकास खंड बेरीनाग में राईआगर के पास चचरेत गांव में कोटेश्वर महादेव मंदिर और गुफा है। मान्यता है इस गुफा में आज भी भगवान शिव अभी निवास करते है यह गुफा 50 मीटर लम्बे क्षेत्र में फैली हुई है। इस गुफा में प्रवेश करने के लिए बहुत ही सकरा द्वार है। गुफा के भीतर से शिव का स्नान कुंड के अलावा एक शयन कक्ष भी मौजूद है।इस गुफा का संकद पुराण और मानस खंड में इसका उल्लेख है।

पिथौरागढ़
वीओं 01-मान्यता है कि 16 वीं सदी में काशी के राजा मृत्युंजय को गंभीर कुष्ट रोग हो गया था। बहुत अधिक उपचार के बाद रोग ठीक नही हुआ तो। उन्हे सपने में शिव ने पाताल भुवनेश्वर और कोटेश्वर गुफा के बारे में बताया। दोनों जगहों पर स्नान करने से राजा रोग मुक्त हो गया।आज भी मान्यता है कि कोटेश्वर गुफा और मंदिर दर्शन से मंदिर के पास में हरी कुंड है यहां पर सात कुड है। एक छोटी सी गुफा है। जहां पर भगवान विष्णु और शिवजी के कई रूप में है।

इस कुंड पर आकर नाह धोकर पर पूजा अर्चना कर मंदिर में पूजा पाठ और गुफा के दर्शन करते है। इस जल को गंगाजल के रूप में प्रयोग करते है। गुफा के भीतर सात कुंड है जिसमें  महामृंज्य कुंड,त्रृषि कुंड,हरी कंुड,ब्रहम कुंड,कुवेंर कुंड,सर्फ कंुड  हर कुंड का अपना अगल अगल महत्तव है। सभी कुंड में स्थान करने के बाद और उसका जल चडाने से पुत्र की कामना भी पूरी  होने के साथ गंभीर से गंभीर रोगी भी ठीक हो जाते है और जिसकी जो मन कामना पूरी होती है वह पूरी होती है।

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मान्यता है कि गुफा के भीतर शिव जटाये थी जिससे दूध बहता था शिव के अनेक रूप होने के साथ यहां पर है। यहां पर ऐहरावन हाथी,शेषनाग,शिव की शिला,शिव लिंग के चारों और सांप के आकृति बनी हुई है। यहां  पर एक गुफा भी जहां से होकर मोक्ष्य को रास्ता जाता है।

इस परिसर में एक देवदार का वृक्ष है जिसकी मोटाई 20 फीट है और लगभग 1 हजार वृक्ष पुराना पेड है। मान्यता है इस पेड के आस पास कोई अन्य पेड तक नही उगता है। यहां पर वर्ष भर भक्तों के द्वारा पूजा अर्चना की जाती है। सावन के महिने में यहां पर पूरे महिने भर यहां पर भक्तों की भीड़ लगी रहती है।यहां पर जल चडाने को लेकर हमेशा भीड़ रहती है।यहां पर रूद्रभाभिषेक के साथ शनिदान के साथ उपनयन संस्कार भी किया जाता है।

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इस  क्षेत्र की प्रसिद्ध गुफा होने के बाद सरकार और पर्यटन विभाग की नजरे आज तक इस गुफा में नहीं पड़ी है। मुख्य पुजारी जीवन चन्द्र भट्ट ने बताया कि कई बार गुफा के सौन्दर्यकरण और रखराव के लिए सरकार सहित स्थानीय जनप्रतिनिधियों को पत्र सौप चुके है लेकिन उसके बाद भी यहां पर कुछ कार्य नही हो पाया।

गुफा के बाहर कुछ पिछले वर्ष बरसात में टूट गया था। अंदर कई स्थानों पर खतरा  रहता है यहां पर स्थाई बिजली की कोई व्यवस्था नही होने से गुफा दर्शन के दौरान कभी अचानक बिजली चले जाने से भक्त परेशानी में आ जाते है यदि सरकार इसे पर्यटन और धार्मिक स्थल से जुडे तो यहां पर्यटकों को बहुत देखने को मिलेगा।
बेरीनाग से प्रदीप महरा की खास रिपोर्ट

 

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