पानी की बर्बादी अब पड़ेगी भारी, 1 लाख जुर्माना और 5 साल तक जेल का प्रावधान

पानी की बर्बादी करने वालों को अब और भी अधिक सावधान रहने की जरूरत है। आपको बता दें कि अब अगर कोई भी व्यक्ति और सरकारी संस्था भूजल स्रोत से हासिल होने वाले पीने योग्य पानी की बर्बादी या उसका बेवजह इस्तेमाल करता है तो यह एक दंडात्मक अपराध माना जाएगा। आपको बता दें कि इससे पहले पानी की बर्बादी को लेकर दंड का कोई प्रावधान नहीं थी। जिसके चलते घरों की टंकियों के अलावा कई बार टैंको से जगह-जगह पहुंचने वाले पानी की बर्बादी देखने को मिलती थी।

सीजीडब्ल्यूए के नए निर्देश के मुताबिक पीने योग्य पानी का दुरुपयोग करने पर 1 लाख रुपये तक जुर्माना और तकरीबन 5 साल की जेल तक का प्रावधान है। सीजीडब्ल्यूए ने पानी की बर्बादी औऱ इसके बेवजह इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए ही 8 अक्टूबर 2020 को पर्यावरण(संरक्षण) कानून 1986 की धारा 5 की शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए प्राधिकरणों और देश के सभी लोगों को संबोधित करते हुए आदेश दिया है। इस आदेश में कहा गया है कि इस आदेश के जारी होने की तिथि से संबंधित नागरिक निकाय जो कि राज्यों और संघशासित प्रदेशों में पानी आपूर्ति के नेटवर्क को संभालती हैं, और जिन्हें जल बोर्ड, जल निगम, वाटर वर्क्स डिपार्टमेंट, नगर निगम, नगर पालिका, विकास प्राधिकरण, पंचायत या किसी भी अन्य नाम से पुकारा जाता है, वो यह सुनिश्चित करेंगी कि भूजल से हासिल होने वाले पोटेबल वाटर यानी पीने योग्य पानी की बर्बादी और उसका बेवजह इस्तेमाल नहीं होगा।

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