पाकिस्तान के ‘बाब जान’, जिनके लिए जनता ने सरकार को घेर लिया

रावलपिंडी। पाकिस्तान के अत्याचारों के गवाह रहे गिलगित-बाल्टिस्तान के लिए हमेशा आवाज उठानेवाले बाबा जान को रिहा करने की मांग एक बार फिर तेज हो गई है। उनकी तबीयत खराब बताई जा रही है और समर्थक चाहते हैं कि उन्हें जल्द छोड़ा जाना चाहिए। करीब 8 साल से गिलगित-बाल्टिस्तान के लोगों के लिए खड़े रहनेवाले बाबा जान आखिर कौन हैं, जिनके लिए पाकिस्तान में सियासी उबाल है?

बाबा जान लेबर पार्टी पाकिस्तान (LPP) के नेता हैं। बात 2010 की है, तब जलवायु परिवर्तन की वजह से गिलगित-बाल्टिस्तान की हुंजा नदी के पास लैंडस्लाइड हुआ था। इस घटना की वजह से ऐटाबाद झील का निर्माण तो हुआ लेकिन हजारों गांववालों को अपने घरों से हाथ धोना पड़ा। लैंडस्लाइड इतना भयानक था कि गिलगित-बाल्टिस्तान को बाकी पाकिस्तान से जोड़नेवाले हाइवे को भी नुकसान पहुंचा था, जिसकी वजह से गांववालों को मदद मिलने में भी दिक्कत हो रही थी।

इस वक्त लोगों की मदद के लिए बाबा जान आगे आए और सरकार से बातचीत शुरू की। काफी प्रदर्शन और कोशिशों के बाद आखिरकार पाकिस्तान सरकार को झुकना पड़ा और उन्होंने लोगों की मदद का वादा किया। 2011 में बाबा जान की तरफ से कुल 457 परिवारों की लिस्ट दी गई थी, लेकिन किन्हीं वजहों से 25 परिवारों की मदद सरकार ने रोक ली। अब इस बात को लेकर प्रदर्शन शुरू हुआ।

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लेकिन तब सरकार ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए हिंसा का प्रयोग शुरू कर दिया और बाबा जान के साथ के कुछ लोग मारे भी गए। इसके बाद बाबा जान को गिरफ्तार कर लिया गया। तब से नेताओं का जेल आना-जाना लगा हुआ है। लेकिन 5 लोगों को तब से अबतक रिहा नहीं किया गया है।इसमें बाबा जान भी शामिल हैं। उसके बाद से खबरें आती रहती हैं कि जेल में बाबा जान और बाकी साथियों के साथ कठोर व्यवहार किया जाता है उनको टॉर्चर किया जाता है। बाबा जान को पाकिस्तान के आतंक रोधी ऐक्ट के तहत पकड़े जाने का भी विरोध होता है। लोगों का कहना है कि सरकार इस ऐक्ट का गलत इस्तेमाल करके ऐक्टिविस्टों को भी पकड़ रही है।

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