दोहराएगा 1971 का इतिहास, पाकिस्तान फिर झेलेगा बंटवारे की मार

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्रीइस्लामाबाद। भ्रष्टाचार के आरोप के चलते अपनी कुर्सी गंवा चुके पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ ने अब ऐसी आशंका ज़ाहिर कर दी है, जिस पर पाक को गहनता से विचार करना पड़ सकता है। हालिया दिनों की गतिविधियों को देखते हुए शरीफ की आशंका को स्वाभाविक समझा जा सकता है।

बता दें कि पनामा पेपर मामले में नाम आने के बाद बीतें दिनों सुप्रीम कोर्ट द्वारा नवाज़ शरीफ को अयोग्य करार दे दिया गया था। जिसके बाद नवाज़ शरीफ ने आशंका ज़ाहिर करते हुए कहा है कि ‘सेना और ISI की बढ़ती ताकत को देखकर ऐसा लग रहा है कि पाकिस्तान फिर से 1971 जैसे हालात की तरफ बढ़ रहा है।‘

वहीं दूसरी ओर अमेरिका भी लगातार पाकिस्तान को चेतावनी दे रहा है। ऐसे में नवाज़ शरीफ की आशंका अहम हो जाती है। इन सबके बावजूद अभी भी पाकिस्तान चीन के भरोसे खड़ा हुआ है।

आखिर शरीफ की आशंका कितनी जायज़ है, इस बात को समझने के लिए पाकिस्तान को विचार करना होगा कि आखिर वह किस तरफ आगे बढ़ रहा हैं।

विदेश मामलों के जानकार कमर आगा कमर आगा का मानना है कि ‘आज पाकिस्तान जिस दिशा में आगे बढ़ रहा है वो खतरे से खाली नही है। पाकिस्तान ठीक नॉर्थ कोरिया की राह पर चलता दिख रहा है’।

ऐसे में जिस तरह से लगातार बलूचिस्तान में प्रदर्शन हो रहें हैं और अलग देश की मांग हो रही है उसे देखते हुए अमेरिका का रूख आने वाले दिनों में बेहद अहम होने वाला है और आने वाले दिनों में वहां पर अमेरिकी हितों का टकराव साफ तौर पर होगा।

वहीं चीन भी वहां ग्वादर पोर्ट बना रहा है। इसके अलावा गुलाम कश्मीर से होते हुए आर्थिक गलियारे का भी निर्माण कर रहा है। ऐसे में पाक चौतरफा घिर सकता है।

कमर आगा के मुताबिक पाकिस्तान की अमेरिका से लगातार दूरी बढ़ती जा रही है और पाकिस्तान लगातार चीन से अपनी नजदीकियां बढ़ा रहा है। ऐसे में नवाज़ शरीफ के बातों को अनसुना नहीं किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि चीन अपने स्वार्थ के लिए पाकिस्तान का इस्तेमाल करना चाहता है। चीन चाहता है कि अफगानिस्तान में तालिबान मजबूत हो और इस काम में उसे पाकिस्तान की जरूरत है।

वहीं अमेरिकी ने रिश्ते बिगड़ने पर भी फंडिंग पर रोक लगा दी है, इस मौके का फायदा उठाकर अब चीन ने उसे फंडिंग शुरू कर दी है। जोकि अपने हित के लिए पकिस्तान का इस्तेमाल कर रहा है।

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ऐसे में अगर अमेरिका पाकिस्तान के प्रति और सख्ती दिखाता है और इन सबके बीच बलूचिस्तान में जिस तरह का पाकिस्तान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन चल रहा है। उसके चलते तो शरीफ की आशंका सही होती दिख रही है।

बता दें पू्र्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने शुक्रवार को चेतावनी देते हुए कहा है कि ‘अगर जनादेश का सम्मान नहीं किया गया तो पाकिस्तान 1971 की तरह टूट जाएगा’।

वकीलों के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए शरीफ ने पनामा पेपर्स मामले में उनके और परिवार के सदस्यों के खिलाफ जांच में देश की खुफिया एजेंसियों के हिस्सा बनने पर उनकी कड़े शब्दों में  आलोचना की। नावाज़ ने साफ़ ज़ाहिर कर दिया पाकिस्तान का भविष्य खतरे में है।

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वहीं पाकिस्तान पर करीब से नज़र रखने वाले विदेशी मामलों के जानकार कमर आगा ने नवाज़ शरीफ की तुलना बेनजीर भुट्टो से करते हुए उन्हें पाकिस्तान में मज़बूत लोकतंत्र का पक्षधर बताया है।

उन्होंने बताया कि बेनजीर को जिस रैली में मौत के घाट उतारा गया था, उसी रैली में बेनजीर ने कहा था कि वो दोबारा सत्ता में आती है तो आर्मी को बैरक में भेज देंगी। इस भाषण का खामियाजा भुट्टो को कैसे भुगतना पड़ा ये पाकिस्तान से छुपा नहीं है।

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