नौगजा पीर मजार की अजब है कहानी, यहाँ लोग घड़ी चढ़ाकर मांगते हैं दुआ

हमारे देश में कई ऐसे धार्मिक स्थल हैं जहां की प्रचलित परम्पराओं को लेकर हमेशा से एक तरह का विराधाभास रहा है, तो वही दूसरी तरफ ऐसे सैड़कों लोग हैं जो इन परम्पराओं को एक शिद्दत से निभाते हैं।

हिन्दू, मुस्लिम एकता और साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल नौगजा पीर का मजार एक ऐसा ही धार्मिक स्थल है, जो अपने आप में एक अलग पहचान रखता है। इस मजार की सबसे बड़ी बात कि यहां हर धर्म को समान अधिकार दिया जाता है।

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शाहबाद कस्बे से सात किलोमीटर नौगजा पीर का मजार 

गौरतलब हो कि भारत अपनी विविध धर्मों की वजह से  रंग-बिरंगे गुलदस्ता सा प्रतीत होता है। इसलिए यहां स्थित धर्मस्थल पर अलग-अलग परम्पराएं और मान्यता देखने को मिलती है।

आपको जानकर हैरानी होगी कि पंजाब हरियाणा बॉर्डर पर शाहबाद कस्बे से सात किलोमीटर दूर हाईवे नंबर-1 पर एक एेसी मजार है जहां लोग चढ़ावे के रूप में घड़ी चढ़ाते हैं। यह मजार नौगजा के पीर के नाम से काफी मशहूर है।

अधिक मात्रा में चढ़ाई गई घड़ियो को मजबूरन बेचना पड़ता है

नौगजा पीर के इस मजार की खासियत यह है कि यहां आने वाले श्रद्धालु मजार पर घडि़यां चढ़ाते हैं। इस परम्परा की शरुआत कब और कैसे शुरू हुई इसका तो किसी को पता नहीं लेकिन इसके पीछे रोचक मान्यता है।

राजमार्ग पर चलने वाले वाहन चालक बाबा की मजार पर घड़ी चढ़ाकर सुरक्षित यात्रा के साथ ही समय से अपनी मंजिल पर पहुंचने की दुआं मांगते हैं। यहां चढ़ाई जाने वाली घडियों को बहुत ही खूबसूरत अंदाज में मजार पर सजाया जाता है।

सबसे बड़ी बात कि इस मजार की सार-संभाल का जिम्मा रेडक्रॉस के पास है। यहां इतनी अधिक मात्रा में घडि़यां चढ़ाई जाती है कि उन्हें बेचना पड़ता है और उससे जो आय होती है वह सेवादारों को वेतन देने और यहां के अन्य कार्यों में खर्च की जाती है।

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नौगजा पीर साम्प्रदायिक सौहार्द का अनूठा मिश्रण है

गौरतलब हो, लोगों में मान्यता है कि यह मजार ऐसे पीर बाबा की है जिनकी लम्बाई नौ गज थी। उन्हीं के नाम पर नौगजा मजार बनाई गई। इसके अलावा इस मजार की लम्बाई भी नौ गज है।

नौगजा पीर की मजार पर साम्प्रदायिक सौहार्द का अनूठा नजारा भी देखने को मिलता है। जिसके पीछे की वजह मजार के साथ ही शिव मंदिर मौजूदगी माना जाता है। इसलिए यहां मुस्लिम के साथ हिन्दू श्रद्धालु भी आते हैं।

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