जानिए पूजा में इस्तेमाल किये जाने वाले नारियल का महत्व
हिन्दू धर्म में वृक्षों के गुण और धर्म की अच्छे से पहचान करके ही उसके महत्व को समझते हुए उसे धर्म से जोड़ा गया है। उनमें से एक नारियल के पेड़ को भी इसी कारण धर्म से जोड़ा गया है। भारतीय धर्म और संस्कृति में नारियल का बहुत महत्व है। नारियल को हिंदु धर्म में शुभ माना जाता है, इसलिए मंदिर में नारियल फोड़ना या चढ़ाने का रिवाज है। नारियल को ‘श्रीफल’ भी कहा जाता है। ऐसा इसकी धार्मिक महत्ता के साथ-साथ इसके औषधीय गुणों के कारण कहा जाता है।
- नारियल को श्रीफल के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है भगवान विष्णु पृथ्वी पर अवतार लेते समय लक्ष्मी, नारियल का वृक्ष और कामधेनु को अपने साथ लाए थे।
- नारियल के वृक्ष को कल्पवृक्ष के नाम से भी जाना जाता है इसमें तीन देव ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है।
- नारियल भगवान शिव का बहुत पसंद है। इसमें बनी तीन आंखों की तुलना शिवजी के त्रिनेत्र से की जाती है।
- ज्योतिष के अनुसार नारियल या श्रीफल समृद्धि, शुभ, उन्नति और सम्मान का सूचक होता है।
नारियल फोड़ने के पीछे क्या है मान्यता
पुराणों और स्मृतियों के अनुसार ऋषि विश्वामित्र ने एक बार इन्द्र से नाराज होकर दूसरे स्वर्ग की रचना करने की ठान ली पर वह दूसरे स्वर्ग की रचना से असंतुष्ट थे। अत: पूरी सृष्टि ही दूसरी बनाने लगे। दूसरी सृष्टि बनाने के क्रम में उन्होंने मानव के प्रतीक के रूप में नारियल बनाया। इसी कारण से नारियल के खोल पर बाहर से दो आंखें और एक मुख सी संरचना दिखाई पड़ती है। पूजा में नारियल फोड़ने का अर्थ भी यही लगाया जाता है कि व्यक्ति ने स्वयं को अपने इष्ट देवता के चरणों में समर्पित कर दिया है और उसका स्वयं का कोई भी किसी भी तरह का अस्तित्व नहीं रहा है।
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वैसे नारियल सिर्फ धार्मिक कार्यों के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि इसमें पाए जाने वाले अनेक तत्व हमारे शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं। ताजे नारियल में कैलोरी भरपूर मात्रा में पायी जाती है। इसकी तासीर ठंडी होती है।