नागालैंड अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए विख्यात है,एक बार घूम कर आइए !
नागालैंड। भारत के छोटे राज्यों में से एक है लेकिन यहां की सुंदरता ऐसी है कि आपको देश के बड़े-बड़े शहरों में भी देखने को नहीं मिलेगी। अपने अतरंगी कल्चर के लिए जाना जाने वाला ये राज्य, पर्यटकों के पसंदीदा जगहों में से एक है। इस सुंदर शहर की सुंदरता में चार चांद लगाता है, दीमापुर शहर। नागालैंड का ये शहर अपने अंदर शालीन प्राकृतिक नज़ारे समेटे बैठा है। दीमापुर की खूबसूरती देखने के लिए सिर्फ अपने देश के नहीं, बल्कि विदेशों से भी पर्यटक आते हैं। तो आइए जानते हैं आखिर क्या खज़ाना छुपा है इस शहर में।
इतिहास दीमापुर शहर का एक लंबा इतिहास है, क्योंकि दीमासास के साम्राज्य की राजधानी हुआ करती थी, जो कछारी द्वारा शासित थी। पुरातात्विक अवशेषों, जो दीमापुर के आस-पास अभी भी फैले हुए पाये जाते हैं, से पता चलता है कि राजधानी पूरी तरह से महफूज़ शहर था।
दिमासा साम्राज्य आसपास के मैदानों पर फैला हुआ था और आज जो भी असम का ऊपरी हिस्सा है, वहां पड़ता था। इस प्राचीन शहर के प्रमाण यहां के कुछ मंदिरों, तटों, तटबंधों, आदि पर पाये जाते हैं। ये ऐतिहासिक स्थल इस बात के भी प्रमाण हैं कि हिंदू धर्म दिमासास का प्रचलित धर्म था।
हालांकि, यह भी निष्कर्ष निकाला गया है गया है कि दिमासास गैर आर्य थे और बड़े पैमाने पर इस भाग पर प्राचीन आदिवासी सत्तारूढ़ थे।आधुनिक इतिहास में भी, दीमापुर ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, क्योंकि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यह ब्रिटिश भारत और शाही जापान के बीच कार्रवाई का केंद्र था।
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दीमापुर से होते हुए जापानियों द्वारा सहायता के लिये नयी सेना लाने के कारण कोहिमा पर हमला हुआ और यह हमला द्वितीय विश्व युद्ध की महत्वपूर्ण लड़ाइयों में से एक था। इस तरह कई इतिहासकार दीमापुर को ‘ईंट शहर’ कहने लगे
क यात्री के लिए एक छोटा सा भूगोल दीमापुर का वर्तमान भूगोल ऐसी है कि यह नगालैंड के पश्चिमी भाग में निहित है, जो दक्षिण-पूरब में कोहिमा जिले, पश्चिम में कार्बी आंगलोंग जिले (असम में) और उत्तर में गोलाघाट जिले (असम में) से घिरा है। दीमापुर राज्य में एक मात्र शहर है जो रेल और हवाई सेवाओं से जुड़ा है । नागालैंड राज्य और लगातार भी मणिपुर के लिए जीवन रेखा के रूप में, दीमापुर उत्तर पूर्व भारत के तंत्रिका केन्द्रों में से एक है। राष्ट्रीय राजमार्ग 39 कोहिमा, इम्फाल को देश के अन्य भागों के साथ जोड़ता है। म्यांमार के साथ मोरेह सीमा भी दीमापुर से गुजरती है।
कला और संस्कृति पर्यटकों के लिए रुचिकर भाग नागा हथकरघा बहुत प्रसिद्ध है और दुनिया भर में लोग इसे धारण करते हैं। दीमापुर अभी भी सबसे बड़े हथकर्घा बुनकरों के लिये जाना जाता है और नागा शॉल और अन्य कलाकृतियां यहां से देश के अन्य भागों में निर्यात की जाती हैं। इस जगह की सम्रद्ध कला एवं संस्कृति को बढ़ा
दीमापुर में पर्यटन आकर्षण बेहतरीन ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के होने के कारण और पूर्वोत्तर के एक महत्वपूर्ण शहर होने के नाते, दीमापुर में घूमने के लायक कई स्थान हैं। देने के लिए सरकार ने उत्तर पूर्वी क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना की है। यहाँ, एक संग्रहालय नगालैंड की कलाकृतियों को सुरक्षित रखता है और केन्द्र नियमित रूप से सांस्कृतिक समारोहों का आयोजन करता है।
दीज्फे हस्तशिल्प गांव: मुख्य शहर से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित, दीज्फे हस्तशिल्प गांव नागालैंड हैंडलूम एंड हैंडीक्राफ्ट डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा संचालित है। इस क्राफ्ट विलेज का मकसद राज्य की बेहतरीन कलाओं, हैंडलूम और हस्तशिल्प को बढ़ावा देना है। दुर्लभ हस्तशिल्प, वुड क्राफ्ट और बैम्बू क्राफ्ट इस क्राफ्ट विलेज में देखी जा सकती हैं।
रंगापहाड़ रिजर्व फॉरेस्ट: रंगापहाड़ संरक्षित वन यहां के दुलर्भ एवं खतरनाक पक्षियों एवं जानवरों के गढ़ के रूप में जाना जाता है। यह दीमापुर के मुख्य आकर्षणों में से एक है। चुमुकेदिमा: कभी असम के नागाओं के पहाड़ी जिलों का मुख्यालय रह चुका चुमुकेदिमा को अब पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया गया है, जहां से कारबी-अंगलोंग जिलों समेत पूरे दीमापुर को देखा जा सकता है। चुमुकेदिमा शहर से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है
रुज़ाफेमा: एक छुट्टी जिसमें आपको स्थानीय लोगों की हचलच न सुनायी दे, तब तक वो पूरी नहीं होती। रुज़ाफेमा एक आदर्श स्थान है, जहां स्थानीय हस्तशिल्प से सजे रंग-बिरंगे बाजार देख सकते हैं। यह वो जगह है, जहां पर्यटक आसानी से स्थानीय लोगों से घुल-मिल जाते हैं। ट्रिप्पल फॉल्स: दीमापुर घूमने जायें तो ट्रिप्पल फॉल्स जरूर देखें। जैसा कि नाम से ही लग रहा है, यहां पानी के तीन झरने हैं, जो एक साथ बहते हैं, यह ट्रैक्कर्स और रोमांच पसंद करने वाले लोगों के लिय आदर्श जगह है।