हमारे देश में जनसंख्या एक बड़ी समस्या है. सरकार ने परिवार नियोजन के लिए काफी योजनाएं लागू कीं. सरकारी अस्पताल में मुफ्त सेवाएं भी उपलब्ध करवाईं.
लोग नसबंदी करवाएं, इसके लिए भी उन्होंने महिलाओं और पुरुषों को रुपए देने की योजना शुरू की. पर कम ही लोगों ने इस योजना को अपनाया.
लोग ऑपरेशन न करवाएं, तो इंजेक्शन के जरिए भी जनसंख्या पर नियंत्रण कर सकें. इसके लिए भी गर्भनिरोधक दवाईयां शुरू कीं गईं. पर कुछ लोग जागरूक नहीं हुए.
आज भी कई परिवार उस योजना का लाभ लेने में डरते हैं. उन्हें लगता है कि बच्चे होना भगवान की देन है. जब तक भगवान बच्चे देंगे, वो होते रहेंगे और ऑपरेशन करवाया तो जान चली जाएगी. ऐसी ही कई बातें एक गांव की महिलाओं ने साझा की हैं.
अपना काम कर रही महिला कांस्टेबल पर चिल्लाने लगे मंत्री साहब ! ये कहाँ तक जायज़ है ?…
ये बातें रामापुर गांव जाने पर पता चला. रामापुर सुल्तानपुर से लगभग 8 किलोमीटर दूर है. यहां की कुछ महिलाओं से बात की. उनकी समस्याओं के बारे में पूछा, और भी तमाम बातें कीं.
इस दौरान नंदलाल के घर पहुंचे, जो रिक्शा चलाकर पेट पालते हैं, उनकी बहू रामावती से बात की. उनसे पूछा कि उनके कितने बच्चे हैं, तो रामावती ने बताया कि उनके चार बच्चे हैं और पांचवां बच्चा पेट में है.
तीन, पांच, छह और सात साल बच्चों की उम्र है. शादी को 15 साल शादी को हो गए. तीन लड़का है और एक लड़की है. पति मंडी में सब्जी बेचते हैं.
जब उनसे पूछा गया कि जब कमाई की इतनी दिक्कत है, तो पांच बच्चे क्यों कर लिए?
तो रामावती ने कहा-
ये तो भगवान की देन है. हालांकि सूई लगवाई थी एक, पर वो सूट नहीं की. दूसरी सूई नहीं लगवा पाई क्योंकि भूल गई. इसलिए सूट नहीं की.
रामावती से पूछा गया कि ऑपरेशन से क्या दिक्कत है तो उन्होंने बताया कि सासू जी कहती हैं कि ऑपरेशन सबको सुहाता नहीं है, कोई मर ही जाता है या जीता ही है.