
नई दिल्ली। बिहार के सीएम नीतीश कुमार के साथ याराना होने के बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राजद अध्यक्ष लालू के गढ़ में तवज्जो नहीं दी जा रही। स्वछता अभियान का सपना जो उन्होंने पूरे देश के लिए देखा उसपर यहां के एक गांव में फैला अंधविश्वास भारी पड़ रहा है। यहां के लोगों का बस यही कहना है कि स्वछता से बढ़कर है जान और जान से बढ़कर न ही किसी पीएम का आदेश है और नहीं ही कोई क़ानून।
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बात कर रहे हैं बिहार के नवादा जिले के गाजीपुर गांव की। यहां लोग शौचालय को अपशकुन मानते हैं। अपशकुन की वजह से लोगों ने शौचालय बनवाना बंद कर दिया है।
गांव में जो कुछ शौचालय मौजूद हैं भी वो अब जर्जर हालत में है और लोग उसका इस्तेमाल नहीं कर रहे।
2000 की आबादी वाले इस गांव में अच्छी खासी हैसियत वाले लोग रहते हैं, लेकिन अंधविश्वास है कि उस पर किसी का कंट्रोल नहीं।
बता दें इस अंधविश्वास की जड़ें लगभग 30 साल पुरानी हैं। बताया जाता है कि 1984 में सिद्धेश्वर सिंह नाम के एक समृद्ध किसान ने अपने घर में शौचालय बनवाना शुरू किया था, लेकिन उसी दौरान एक रहस्यमय बीमारी से उनके बेटे की मौत हो गई।
इस अंधविश्वास को तब और बल मिला जब 1996 में रामप्रवेश शर्मा के टॉयलेट निर्माण के दौरान उनके बेटे की मौत हो गई।
खबरों के मुताबिक इस घटना के बाद से गांव वालों में खौफ भर गया और उन्होंने शौचालय के नाम से ही तौबा कर लिया।
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स्वच्छ भारत अभियान और शौच मुक्त गांव के केन्द्र के नारों के बावजूद इस गांव में लोग इस कैम्पेन को तवज्जो नहीं दे रहे हैं।
गाजीपुर के निवासी उदय कुमार कहते हैं कि जिंदगी पहले है, शौचालय तो बाद में भी बन सकता है। इस गांव में बाद में कई ऐसी घटनाएं हुई कि लोग और भी डरने लगे।
गांव वालों के मुताबिक 2009 में अरविंद नाम के युवक ने लोगों को शौचालय का निर्माण करवाने के लिए प्रेरित किया, लेकिन एक दुर्घटना में उसकी टांग टूट गयी। कुछ लोग समय समय पर इस अंधविश्वास को चुनौती देते रहे।
गांव वालों का दावा है कि 2015 में मुद्रिका सिंह नाम के युवक ने सामुदायिक शौचालय का इस्तेमाल किया तो एक दिन के अंदर ही उसकी मौत हो गयी।
ख़ास बात तो यह है कि इसी हफ़्ते प्रखंड के बीडीओ ने जब लोगों को स्वच्छता के बारे में जागरुक करने के लिए गाजीपुर गांव का दौरा किया तो उनके साथ भी एक हादसा हो गया।
यहां फैले अंधविश्वास के डर से लोग इस गांव में अपनी बेटियों की शादी नहीं करना चाहते हैं।
इस अंधविश्वास को दूर करने के लिए जिले के डीएम ने पहल की है। नवादा के डीएम मनोज कुमार ने कहा है कि वे इस चुनौती को स्वीकार करते हैं। उन्होंने कहा कि वे खुद गाजीपुर जाएंगे और लोगों को शौचालय बनवाने के लिए प्रेरित करेंगे, उन्होंने कहा कि प्रशासन भी इस काम में मदद करेगा।
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