दाभोलकर और पानसरे हत्याकाण्‍ड की सुस्त जांच पर हाईकोर्ट सख्‍त

नरेंद्र दाभोलकरमुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने गोविंद पानसरे और डॉ नरेंद्र दाभोलकर हत्याकाण्‍ड की सुस्त जांंच पर सख्‍त नाराजगी जताई है। दाभालेकर हत्याकाण्‍ड की जांच सीबीआई कर रही है, जबकि पानसरे हत्याकाण्‍ड की जांच एसआईटी के पास है। दोनों ही मामलों में जांच पर हाईकोर्ट ने जांच एजेंसियों को फटकार लगाते हुए कहा है कि उनकी जांच बचकानी नजर आ रही है।

नरेंद्र दाभोलकर हत्याकाण्‍ड

गौरतलब है कि अगस्त 2013 में अंधविश्वास के खिलाफ मुहिम चलाने वाले डॉ नरेंद्र दाभोलकर की पुणे में हत्या कर दी गई थी जबकि महाराष्ट्र में वामपंथी नेता पानसरे की हत्या 16 फरवरी 2015 को हुई थी। दाभोलकर मामले में सीबीआई ने पिछले दिनों नई मुंबई इलाके से सनातन संस्था से जुड़े वीरेंद्र तावडे़ को गिरफ्तार किया था। हालांकि हाईकोर्ट एजेंसी की जांच की रफ्तार से नाखुश है।

बृहस्पतिवार को हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति शालिनी फणसालकर जोशी की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की। पानसरे की हत्या का केस सीबीआई को देने से इनकार करते हुए खंडपीठ ने कहा कि अभी इसकी जांच जारी रखें। पानसरे के परिवार वालों ने मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की थी। इस पर खंडपीठ ने यह फैसला दिया। वहीं, इस मामले में आरोपी समीर गायकवाड़ की जमानत पर सुनवाई 11 जुलाई तक के लिए टाल दी गई है।

हाईकोर्ट में सीबीआई ने कहा कि डॉ. दाभोलकर हत्या के मामले में सनातन संस्था की भूमिका की भी जांच कर रहे हैं। सीबीआई ने कोर्ट में प्रगति रिपोर्ट पेश की, जिस पर खंडपीठ ने सवाल उठाया। खंडपीठ ने कहा कि सीबीआई की प्रगति रिपोर्ट कुछ नहीं महज न्यूज रिपोर्ट है। जो चीजें सार्वजनिक हो चुकी हैं वही बातें रिपोर्ट में हैं। यह बेहद शर्म की बात है कि अधिकारी जांच करने की बजाय पीड़ित परिवारवालों से पूछते हैं कि उन्हें किस पर संदेह है। इस पर रोक लगनी चाहिए।

खंडपीठ ने कहा कि इन दोनों मामलों की जांच में काफी सावधानी व सतर्कता बरतनी चाहिए। जो कुछ हुआ है, वह समाज के खिलाफ अपराध है। इस प्रकरण में दो बड़ी हस्तियों की जान अपने काम व विचारधारा के चलते गई है। मामले की सुनवाई छह सप्ताह तक के लिए स्थगित करते हुए खंडपीठ ने कहा कि सीबीआई जल्द से जल्द मामले की फोरेसिक जांच रिपोर्ट स्काट लैंड यार्ड से मंगाए।
हाईकोर्ट ने जांच से जुड़ी जानकारी मीडिया से साझा करने के लिए सीबीआई को कड़ी फटकार लगाई। खंडपीठ ने चेतावनी देते हुए कहा कि हम मीडिया के जांच से जुड़ी जानकारी देने वाले अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का आदेश देंगे और अधिकारी को जेल भेजेंगे। इस दौरान खंडपीठ ने मीडिया को भी आडे़ हाथों लिया।

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