‘नमस्‍ते फ्रांस’ के दूसरे संस्‍करण का आगाज, भारत अपनी प्राचीन सांस्कृतिक विरासत की छटा बिखेरेगा

फ्रांस नई दिल्‍ली। भारतीय संस्कृति की सदियों पुरानी कला फ्रांस की धरती पर भी दिखेंगी। एफेल टावर, कुतुब मीनार और ताजमहल साथ-साथ नजर आयेंगे, क्योंकि दोनों देशों की सांस्कृतिक जड़ें काफी गहरी हैं।

15 सितंबर से 30 नवंबर तक 75 दिनों में फ्रांस के 23 शहरों में भारत की प्राचीन और रंग-बिरंगी सांस्कृतिक विरासत की छटा बिखरेगी। ढाई महीने तक चलने वाले भारत के इस उत्सव ‘नमस्ते फ्रांस’ में भारत की कला, संगीत, नृत्य और सिनेमा के अलग-अलग रंग दिखेंगे। नमस्ते फ्रांस के दूसरे संस्करण में भारतीय कलाओं के दिग्गज गुरु अपनी साधना का प्रदर्शन करेंगे।

दिग्‍गज कलाकार दिखायेंगे अपना जौहर

मशहूर संगीतकार और वायलिन के जादूगर पंडित एल सुब्रमण्यम, ताल कचहरी के कलाकार और मृदंगम के गुरु वाई वेंकटेश्वर राव, सरोद का दूसरा नाम उस्ताद अमजद अली खान, कथक गुरु कुमुदिनी लाखिया, कुचिपुड़ी गुरुयुगल पंडित राधा और राजा रेड्डी, संतूर के मशहूर कलाकार पंडित भजन सोपोरी भी कलाकारों की आकाशगंगा के चमकते सितारे होंगे।

भारतीय कलाकार फ्रांस में वहां के कलाकारों के साथ फ्यूजन भी करेंगे। इसमें दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रिश्तों को नया आयाम मिलेगा। अलग-अलग फॉर्म्स और सेशन को नाम भी काफी दिलचस्प दिए गए हैं। मसलन तबला के युवा वादक अनुभव चटर्जी और घटम कंजीरम के कलाकार एन राजारामन् के साथ जब फ्रेंच अमेरिकन गायिका ग्रे हुबर्ट की दिलचस्प टिगलबंदी का नाम ड्रंक ऑफ लव होगा।

 

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