धीमी पड़ती अर्थव्यवस्था को तेज करने को गति देने के लिए रिजर्व बैंक(Reserve Bank of India) ने लिया बड़ा फैसला

भारतीय रिजर्व बैंक ने देश की ध्हीमी पड़ती अर्थव्यवस्था को धार देने के लिए रेपो दरों में बड़ा बदलाव किया है. यह लगातार चौथी बार RBI ने बैंक के रेपो दरों में बदलाव किया है.रेपो रेट में इस बदलाव के बाद यह बीते 9 सालों के न्यूनतम स्तर पर आ गयी है.लेकिन इसके साथ केंद्रीय बैंक ने मांग और निवेश में नरमी के कारण 2019-20 के लिये सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के जून के अनुमान को भी 7.0 प्रतिशत से घटाकर 6.9 प्रतिशत कर दिया।

Reserve Bank of India

नीतिगत दर में कटौती से आवास, वाहन कर्ज की मासिक किस्तें (ईएमआई) कम होने के साथ-साथ कंपनियों के लिये कर्ज सस्ता होने की उम्मीद है। रेपो दर वह दर होती है जिस पर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकाल के लिये नकदी उपलब्ध कराता है। रेपो दर में इस कटौती के बाद रिजर्व बैंक की रिवर्स रेपो दर भी कम होकर 5.15 प्रतिशत, सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर घटकर 5.65 प्रतिशत रह गई।

नीतिगत दर में यह कटौती सामान्य तौर पर होने वाली कटौती से हटकर है। आम तौर पर आरबीआई रेपो दर में 0.25 प्रतिशत या 0.50 प्रतिशत की कटौती करता रहा है, लेकिन इस बार उसने 0.35 प्रतिशत की कटौती की है। रेपो दर में चार बार में अब तक कुल 1.10 प्रतिशत की कटौती की जा चुकी है।

 

यह पूछे जाने पर कि आरबीआई ने आखिर रेपो दर में 0.35 प्रतिशत की कटौती क्यों की, आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि यह कोई अप्रत्याशित नहीं है, यह कटौती संतुलित है। उन्होंने कहा कि 0.25 प्रतिशत की कटौती अपर्याप्त मानी जा रही थी जबकि 0.50 प्रतिशत की कटौती अधिक होती। इसीलिए एमपीसी ने संतुलित रुख अपनाते हुये 0.35 प्रतिशत कटौती की है।

केंद्रीय बैंक 2006 से नीतिगत दर में 0.25 प्रतिशत और 0.50 प्रतिशत की कटौती की थी। दास ने कहा, ‘‘मांग और निवेश में नरमी से वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।’’ हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि नरमी चक्रीय है और यह कोई संरचनातमक नहीं है।  उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि संरचनात्मक सुधारों की जरूरत है…चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में वृद्धि में गति देने की उम्मीद है।’’

वित्त सचिव राजीव कुमार के अनुसार-

इस बीच, वित्त सचिव राजीव कुमार ने कहा है कि आरबीआई का नीतिगत दर में कटौती का कदम सकारात्मक और अब बैंकों को चाहिए कि वे उसका लाभ ग्राहकों को दे। मौद्रिक नीति समिति के चार सदस्य रवीन्द्र एच ढोलकिया, माइकल देबव्रत पात्रा, बिभू प्रसाद कानूनगो और शक्तिकांत दास ने रेपो दर में 0.35 प्रतिशत की कटौती के पक्ष में मत दिया जबकि दो सदस्यों चेतन घाटे ओर पामी दुआ ने नीतिगत दर में 0.25 प्रतिशत कटौती के पक्ष में मतदान किया।

समिति ने कहा, ‘‘घरेलू आर्थिक  गतिविधियां कमजोर बनी हुई है। वैश्विक नरमी और व्यापार तनाव बढऩे के कारण इसके नीचे जाने का जोखिम है।’’ एमपीसी ने कहा कि पिछली बार की रेपो दर में कटौती का लाभ धीरे-धीरे अर्थव्यवस्था में पहुंच रहा है, नरम मुद्रास्फीति परि²श्य नीतिगत कदम उठाने की गुंजाइश देता है ताकि वृद्धि को गति दी जा सके।

आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष की तीसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में कहा, ‘‘मुद्रास्फीति लक्ष्य की मिली जिम्मेदारी को निभाते हुए सकल मांग, खासकर निजी निवेश को गति देकर वृद्धि संबंधी चिंता को दूर करना इस समय उच्च प्राथमिकता में है।’’ केंद्रीय बैंक को मुद्रास्फीति 2 प्रतिशत घट-बढ़ के साथ 4 प्रतिशत के दायरे में रहने का लक्ष्य मिला हुआ है।

आरबीआई ने कहा-

वृद्धि दर के बारे में आरबीआई ने कहा,‘‘…वित्त वर्ष 2019-20 के लिये जीडीपी वृद्धि दर के जून के 7 प्रतिशत अनुमान को संशोधित कर 6.9 प्रतिशत कर दिया गया है। इसमें चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 5.8 से 6.6 प्रतिशत और दूसरी छमाही में 7.3 से 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इसमें नीचे जाने का जोखिम बना हुआ है। वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है।’’

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 3.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है जबकि दूसरी छमाही में इसके 3.5 से 3.7 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान है। इसमें घट-बढ़ का जोखिम बरकरार है। मौद्रिक नीति समीक्षा में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को पूंजी प्रवाह बढ़ाने तथा डिजिटल लेन-देन को गति देने के लिये भी महत्वपूर्ण कदम उठाये गये।

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एनबीएफसी में पूंजी का प्रवाह बढ़ाने के लिये बैंकों को गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के जरिए कृषि, छोटे उद्यमों को निवेश ऋण देने की अनुमति दी गयी। बैंकों द्वारा एनबीएफसी को इस काम के लिए दिया गया कर्ज प्राथमिक क्षेत्र के लिए दिए गए ऋण की श्रेणी में रखा जाएगा। साथ ही बैंकों को किसी एक एनबीएफसी में कर्ज सीमा बढ़ाकर शेयर पूंजी (टियर-1) के 20 प्रतिशत करने की अनुमति दी गयी है। फिलहाल यह सीमा 15 प्रतिशत है।

डिजिटल लेन-देन को मिलेगी गति-

वहीं डिजिटल लेन-देन को गति देने के लिये एनईएफटी के जरिये 24 घंटे कोष हस्तांतरण की अनुमति देने का निर्णय किया है। फिलहाल राष्ट्रीय इलेक्ट्रानिक कोष हस्तांतरण (एनईएफटी) का परिचालन आरबीआई खुदरा भुगतान व्यवस्था के रूप में करता है। यह ग्राहकों के लिये दूसरे और चौथे शनिवार के अपवाद के साथ सभी कामकाजी दिवस में सुबह 8 बजे से शाम 7 बजे तक के लिये उपलब्ध होता है।

साथ ही आवर्ती बिलों के भुगतान का प्रावधान करने वाली सभी इकाइयों को भारतीय बिल-भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) के मंच से जुडऩे की छूट देने का फैसला किया गया है। बीबीपीएस एक ऐसा मंच है जो दूसरी प्रणालियों के साथ सूचनाओं का आदान प्रदान करने में समर्थ है। इसके माध्यम से इस समय डीटीएच, बिजली, गैस, टेलीफोन और पानी -पांच क्षेत्रों की कंपनियों इकाइयों के बिल जमा कराए जा सकते है। मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक एक, तीन और चार अक्टूबर 2019 को होगी।

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