पांच साल की मुस्लिम लड़की ने किया वो कारनामा जिसे अच्छे-अच्छे बाबा नहीं कर पाए

नई दिल्ली। एक तरफ देश में जहां कुछ बुरी ताकते हिन्दू-मुस्लिम में तकरार करवाने की नाकाम कोशिशों में लगी हैं वहीँ पांच साल की एक मुस्लिम बच्ची ने ओडिशा में हुई भगवद् गीता सस्वर पाठ प्रतियोगिता जीतकर यह साबित कर दिया कि भारत आज भी भाई चारे की मिसाल है। इस बच्ची ने सबको ये समझाया कि धर्म और ज्ञान की कोई सीमा नहीं है।

बुधवार को ओडिशा में हुई भगवद् गीता सस्वर पाठ प्रतियोगिता में मात्र पांच साल की फिरदौस नाम की इस बच्ची ने कई प्रतिभावान प्रतियोगियों को पिछे छोड़ प्रतियोगिता को अपने नाम कर लिया। फिरदौस सोवनिया रेसीडेंशियल स्कूल में कक्षा एक की छात्रा है। जिस उम्र में बच्चे A B C D सीखते हैं उस उम्र में ही फिरदौस को हिंदू शास्त्र कंठस्थ हैं।

जूरी मेंबर अक्षय पाणी ने बताया कि फिरदौस अपने प्रतिद्वंद्वियों से काफी आगे थी। उसने गीता को सुगम सहज और निर्बाध रूप से पढ़ा। सबसे खास बात यह रही कि फिरदौस का उच्चारण निर्दोष था। जूरी ने उसे 100 में से 90 अंक दिए।

फिरदौस की यह उपलब्धि इस मायने में भी खास है कि बुधवार को ही इंडियन आइडल में भाग लेने वाली 12 वर्षीय नाहिद पर फतवा जारी किया गया था। यहां के एक स्थानीय निवासी आर्यदत्त मोहंती ने कहा कि फिरदौस की यह कामयाबी सांप्रदायिक सौहार्द और सहनशीलता का उदाहरण है।

अपनी इस उलब्धि पर फिरदौस का कहना है कि उसके शिक्षकों ने उसे ‘जीओ और औरों को जीने दो’ का मूलमंत्र दिया है। फिरदौस मानना है कि संपूर्ण मानवजाति एक वैश्विक परिवार है।

फिरदौस की मां आरिफा ने बताया कि यह उनके लिए कभी न भूलने वाला क्षण है। उन्होंने कहा कि मैंने अपने बच्चों को हमेशा यही सिखाया है कि सभी इंसान बराबर हैं, भले ही वे किसी भी समुदाय से आते हों। मेरी बेटी की सफलता का श्रेय उसके स्कूल के शिक्षकों को जाता है। आरिफा ने कहा कि उनके गांव दमरपुर भी सांप्रदायिक सौहाद्र्र की मिसाल है।

जिस स्कूल में फिरदौस पढ़ती हैं वहां के प्रिंसिपल उर्मिला कार ने दिल खोलकर फिरदौस की तारीफ की। कहा कि हमारे यहां किताबी ज्ञान के अलावा सभी धर्मों की नैतिक शिक्षा दी जाती है।

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