घर लेते या बनाते वक्त हम कई बातों का ध्यान नहीं देते हैं. लेकिन आज हम आपको बता रहें हैं कि भूमि का मिजाज ज़रुर देख लें. भूमि लाल है, पीली है, भूरी है, काली है या कि पथरीली है? ऊसर, चूहों के बिल वाली, बांबी वाली, फटी हुई, ऊबड़-खाबड़, गड्ढों वाली और टीलों वाली भूमि का त्याग कर देना चाहिए. जिस भूमि में गड्ढा खोदने पर राख, कोयला, भस्म, हड्डी, भूसा आदि निकले, उस भूमि पर मकान बनाकर रहने से रोग होते हैं तथा आयु का ह्रास होता है.

पूर्व, उत्तर और ईशान दिशा में नीची भूमि सब दृष्टियों से लाभप्रद होती है. आग्नेय, दक्षिण, नैऋत्य, पश्चिम, वायव्य और मध्य में नीची भूमि रोगों को उत्पन्न करने वाली होती है. दक्षिण तथा आग्नेय के मध्य नीची और उत्तर एवं वायव्य के मध्य ऊंची भूमि का नाम ‘रोगकर वास्तु’ है, जो रोग उत्पन्न करती है. अत: भूमि का चयन करते वक्त किसी वास्तुशास्त्री से भी पूछ लें.
भूमि का ढाल-
प्लाट या मकान के फर्श का ढाल पूर्व, उत्तर या ईशान दिशा की ओर होना चाहिए. इसमें भी उत्तर दिशा उत्तम है. दरअसल, सूरज हमारी ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है अत: हमारे वास्तु का निर्माण सूरज की परिक्रमा को ध्यान में रखकर होगा तो अत्यंत उपयुक्त रहेगा.
सूर्य के बाद चंद्र का असर इस धरती पर होता है तो सूर्य और चंद्र की परिक्रमा के अनुसार ही धरती का मौसम संचालित होता है. उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव धरती के दो केंद्रबिंदु हैं. उत्तरी ध्रुव जहां बर्फ से पूरी तरह ढंका हुआ एक सागर है, जो आर्कटिक सागर कहलाता है वहीं दक्षिणी ध्रुव ठोस धरती वाला ऐसा क्षेत्र है, जो अंटार्कटिका महाद्वीप के नाम से जाना जाता है. ये ध्रुव वर्ष-प्रतिवर्ष घूमते रहते हैं.
दक्षिणी ध्रुव उत्तरी ध्रुव से कहीं ज्यादा ठंडा है. यहां मानवों की बस्ती नहीं है. इन ध्रुवों के कारण ही धरती का वातावरण संचालित होता है. उत्तर से दक्षिण की ओर ऊर्जा का खिंचाव होता है. शाम ढलते ही पक्षी उत्तर से दक्षिण की ओर जाते हुए दिखाई देते हैं. अत: पूर्व, उत्तर एवं ईशान की और जमीन का ढाल होना चाहिए.
इसका मतलब यह कि दक्षिण और पश्चिम दिशा उत्तर एवं पूर्व से ऊंची रहने पर वहां पर निवास करने वालो को धन, यश और निरोगिता की प्राप्ति होती है. इसके विपरित है तो धन, यश और सेहत को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. हालांकि किसी वास्तुशास्त्री से इस संबंध में जरूर सलाह लें क्योंकि हमें नहीं मालूम है कि आपके घर की दिशा कौन-सी है. दिशा के अनुसार ही ढाल का निर्णय लिया जाता है. यदि आपके मकान की भूमि का ढाल वास्तु अनुसार है तो निश्चित ही वह आपको मालामाल बना देगा. लेकिन यदि वास्तु अनुसार नहीं है तो वह आपको कंगाल भी कर सकता है.
https://www.youtube.com/watch?v=wt07SLUBlDI