देश भर के अस्पतालों में हो रहे हादसों के बीच उत्तरकाशी के ये आंकड़े कर देंगे हैरान…

अस्पतालोंउत्तरकाशी:  जिले के अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी है। जिससे ग्रामीणों को हर रोज परेशानी का सामना करना पड़ता है। उत्तरकाशी के पूरे जिले की बात करे तो 161 डॉक्टर के पद स्वीकृत है जिसमे 49 पद पर ही डॉक्टर ही तैनात है।

जिला अस्पताल महिला अस्पताल ट्रामा सेण्टर छोड़ दे तो जिले में 104 चिकित्सकों के सापेक्ष केवल 31 चिकित्सक हैं तैनात जिले स्वास्थ्य सेवा का हाल बदहाल है। जिला अस्पताल से लेकर सुदूरवर्ती गांवों में जिला ऐलोपैथिक अस्पताल चिकित्सकों की कमी से जूझ रहे हैं। चिकित्सकों की यह कमी मरीजों पर भारी पड़ रही है। खासकर महिला चिकित्सकों की स्थित तो जिले में सबसे बदहाल है।

यह भी पढ़े: जीत की लहर पर सवार मोदी-शाह की गाड़ी को लगी ठोकर, किसी भी हाल में नहीं जीत सकते ये चुनाव

पहाड़ पर डॉक्टर चढ़ने को तैयार नहीं हो रहे। सीमांत जिले में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं को संजीवनी देने के लिए भेजे गए 10 चिकित्सकों में से चार चिकित्सकों ने अपनी पहुंच दिखते हुए अपना ट्रांसफर फिर से मैदानी क्षेत्रों में कर दिया है।

जिला अस्पताल महिला अस्पताल ट्रामा सेंटर छोड़ दे तो जिले के चार सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, 8 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 7 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 13 स्टेट ऐलोपैथिक डिस्पेंसरी व 85 स्वास्थ्य उप केंद्रों का संचालन 31 चिकित्सकों के भरोसे चल रहा। अधिकांश चिकित्सालय तो ऐसे हैं जहां चिकित्सक न होने के कारण अभी भी ताले लटके हुए हैं। जिले के तहसील व जिला मुख्यालय के अस्पतालों का हाल भी अच्छा नहीं है। जिला महिला अस्पताल में दो चिकित्सक तो हैं। लेकिन, इसमें एक ही चिकित्सक ऐसी है जो प्रसव पीड़िता की गंभीर स्थित में आपरेशन के जरिये प्रसव करा सकती है। लेकिन वह चिकित्सक इन दिनों अवकाश पर है। इस कारण स्थिति और भी गंभीर बन गई है। ऐसी स्थिति में अगर कोई प्रसव पीड़िता गंभीर स्थिति में आ गई तो चिकित्सकों के पास उसे रेफर करने के अलावा कोई और उपाय नहीं है। महिला चिकित्सालय में शिशुओं को टीका करण के विभाग में भी केवल एक ही नर्स है। जबकि हर दिन अस्पताल में 8 बच्चों का जन्म होता है। साथ ही बुधवार के दिन टीकाकारण करने वालों भी भीड़ लगी रहती है। वहीं यमुना घाटी में गर्भवती महिलाओं को अल्ट्रासाउंड के लिए भटकना पड़ा रहा है।

यह भी पढ़े: सब कुछ गवां चुके ‘किंगमेकर’ को मिला गच्चा, आख़िरी दांव भी हुआ फेल

सीएचसी नौगांव में मशीन तो हैं लेकिन रेडियोलॉजिस्ट नहीं है। जबकि पुरोला में मशीन खराब पड़ी है। रेडियोलॉजिस्ट न होने के कारण यमुना घाटी में तैनात डिप्टी सीएमओ को सप्ताह में दो दिन नौगांव में अल्ट्रासाउंड की सेवा देनी पड़ रहा है। सीएमओ डॉ. कल्पना गुप्ता ने बताया कि पहाड़ों में चिकित्सकों की कमी तो है। इस संबंध में निदेशलय को भी जानकारी है। जितने चिकित्सक और सुविधाएं हैं उनके जरिये बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं को देने का प्रयास किया जा रहा है।

उत्तरकाशी के अस्पतालों में किस कदर स्वास्थ्य सुविधाएं डॉक्टरों न होने से दम तोड़ रही आंकड़े उसकी गवाई खुद ही दे रहे है। फिलहाल डॉक्टर पहाड़ चढ़ना नहीं चाहते और सरकार कुछ ठोस कदम उठा नहीं रही।

रिपोर्टर:  नितिन रमोला

LIVE TV