पीएम मोदी के लिए लामबंद हुई ब्रिटेन की संसद, पाकिस्तान को दिया वो दर्द कि दहाड़ें मारकर रोएंगे शरीफ

देश की सीमाएं सीलनई दिल्ली। ब्रिटेन की संसद ने गिलगित-बाल्टिस्तान को अपना पांचवां प्रांत घोषित करने के पाकिस्तान सरकार के कदम की निंदा की है। यह भी साफ किया गया कि बंटवारे के वक्त से ही यह भारत का ही हिस्सा रहा है। उधर बढ़ती आतंकी गतिविधियां और पड़ोसी देशों की नाफ़रमानी को देखते हुए गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने देश की सीमाएं सील करने का ऐलान कर दिया है। बता दें शनिवार को गृहमंत्री ग्वालियर के टेकनपुर में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के पासिंग आउट परेड में हिस्सा लेने पहुंचे थे।

देश की सीमाएं सील

गृह मंत्री सिंह ने शनिवार को संवाददाताओं से कहा, “देश की सीमाओं की सुरक्षा में सीमा सुरक्षा बल अपनी जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन कर रहा है। यही कारण है कि बीएसएफ के प्रति देश के लोगों का विश्वास और भरोसा बढ़ा है।”

एक सवाल पर गृह मंत्री ने कहा, “सीमाएं सील की जाएंगी। जहां फेंसिंग हो सकती है, वहां फेंसिंग की जाएगी और जहां यह नहीं हो सकेगा, वहां तकनीक का सहारा लिया जाएगा।”

देश में बढ़ती नक्सली घटनाओं पर उन्होंने कहा, “बीते ढ़ाई-तीन वर्षों के दौरान नक्सलवाद में 50 से 55 प्रतिशत की कमी आई है।

पहले देश के 135 जिले नक्सल प्रभावित थे, जो वर्तमान में 35 जिले रह गए हैं। इन जिलों में भी नक्सली घटनाओं में कमी आई है।”

उन्होंने कहा, “राज्य सरकारें अपनी जिम्मेदारियों का बखूबी निवार्ह कर रही हैं। इसमें केंद्र सरकार पूरी मदद दे रही है। अर्धसैनिक बलों की 100 से अधिक बटालियन इन क्षेत्रों में तैनात हैं।”

वहीं ब्रिटेन की संसद ने गिलगित-बाल्टिस्तान को अपना पांचवां प्रांत घोषित करने के पाकिस्तान सरकार के कदम की निंदा की है।

ब्रिटिश सांसदों ने इस संबंध में एक प्रस्ताव भी पास किया है, जिसमें गिलगित-बाल्टिस्तान को जम्मू-कश्मीर का वैध एवं संवैधानिक अंग हिस्सा बताया है, जिस पर पाकिस्तान ने 1947 से गैरकानूनी तौर पर कब्जा कर रखा है।

बता दें कि बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा, पंजाब और सिंध पाकिस्तान के चार प्रांत हैं और अब वहां की सरकार इस विवादित हिस्से अपना पांचवा प्रांत घोषित करने की तैयारी में है।

इस संबंध में कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद बॉब ब्लैकमैन की ओर से 23 मार्च में संसद में पेश प्रस्ताव में कहा गया कि पाकिस्तान एक ऐसे भूभाग पर कब्जा करने की कोशिश कर रहा है, जो उसका नहीं है।

इस प्रस्ताव में कहा गया है, ‘गिलगित-बाल्टिस्तान कानूनी और संवैधानिक रूप से भारत के जम्मू-कश्मीर का हिस्सा है।

1947 से ही इस पर पाकिस्तान ने गैरकानूनी कब्जा कर रखा है। इस इलाके के लोगों को मूलभूत सुविधाएं तक मुहैया नहीं हैं, यहां तक कि उन्हें अभिव्यक्ति की आजादी तक नहीं मिलती है।’

प्रस्ताव में साथ ही लिखा गया है कि इस इलाके के जनसंख्या वितरण में किसी भी तरह का बदलाव करना इस विवादित क्षेत्र में तनाव भड़काने जैसा होगा।

यहां गौर करने वाली बात यह है कि 1947 में ब्रिटेन से मिली आजादी के साथ हुए बंटवारे के वक्त से ही भारत गिलगित-बाल्टिस्तान को ऐतिहासिक और भूगोलीय आधारों पर अपना बताता आया है।

उस वक्त ब्रिटिश राज्य की सीमाओं के मुताबिक ही भारत और पाकिस्तान के विभाजन की शर्तें तय की गई थीं। ऐसे में ब्रिटिश संसद में पारित यह प्रस्ताव भारतीय पक्ष के हिसाब से काफी सकारात्मक है।

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