जानिए कहा देश के कोने-कोने से पहुंच रहे सैलानी…
छत्तीसगढ़ के नवापारा में पर्यटक एवं देवी स्थल घटारानी में इन दिनों प्रर्यटकों की अच्छी खासी भीड़ लगने लगी है। यहां पर देश के कोने-कोने से लोग पहुंच रहे हैं। पर्यटक स्थल में देवी दर्शन के साथ ही झरने का आनंद लेने लोगों की भीड़ हर दिन उमड़ रही हैं। खासकर 15 अगस्त के दिन यहां लोगों की अच्छी खासी भीड़ थी। वहीं, आसपास के जंगल का क्षेत्र पूरा पिकनीक स्पॉर्ट में तब्दील हो गया है।
बहता पानी बढ़ रहा घटरानी की सुंदरता इस वर्ष बारिश अच्छा होने के कारण झरने में बहता पानी उसकी सुंदरता बढ़ा रहा है। प्रकृति का ऐसा अद्भुत नजारा देख लोगों के यह आकर्षण का केंद्र्र बना हुआ है। पर्यटकों की लगातार यहां भीड़ तो देखी जा रही है, लेकिन दूसरी ओर पर्यटक स्थल के हिसाब यहां पर बाहर से आने वालों को सुविधाएं नहीं मिल रही है। ठहरने के लिए व्यवस्था नहीं होने के कारण मजबूरी में रायपुर व अन्य स्थानों पर बाहर से आने वाले पर्यटक ठहर रहे हैं। घटारानी के आसपास जंगल रोड किनारे लगातार कचरे और गंदगी फैल रही है। पॉलीथिन डिस्पोजल, बॉटल आदि के कचरे आसपास बिखरे पड़े हैं। शासन-प्रशासन इसकी सफाई के लिए कोई ध्यान नहीं दे रहा है। फैले गंदगी और बदबू से पर्यटक परेशान हैं।
15 दिसंबर को विश्व इतिहास में हुई थीं ये घटनाएं
कैसे पहुंच सकते हैं यहां राजधानी से लगभग 80 किलोमीटर पर राजिम मार्ग पर स्थित है जतमई का यह स्थल। यहां से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है घटारानी। जतमई पहाड़ी को पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित करने के बाद यह स्थल पर्यटन के नक्शेे पर आया जिसके बाद यहां पर लोग इस मनमोहक प्राकृतिक स्थल को जान व देख रहे हैं। पटेवा के निकट स्थित जतमई पहाड़ी एक 200 मीटर क्षेत्र में फैला पहाड़ है, जिसकी उंचाई करीब 75 मीटर है। यहां शिखर पर विशालकाय पत्थर आपस में जुड़े हुए हैं। जिसे देखकर लगता है इन्हें यहां किसी ने रखा हुआ है।
सभी मौसम है उपयुक्त जतमई और घटारानी की सैर करने के लिए सभी मौसम अनुकूल है। बारिश के मौसम में आसपास का जंगल में हरियाली और ज्यादा बढ़ जाती है। और गर्मियों में हरियाली पेड़ की छाव और पानी आपका मन मोह लेगी। झरने का पानी और भी ज्यादा मनमोहक लगता है। इस झरने पर आकर पर्यटक नहाने का भी भरपूर मजा ले सकते हैं। घटारानी प्रपात तक पहुंचने के लिए घने जंगल के बीच बनी सकरी सड़क है। जिसमें बताया जाता है कि जंगली जानवर भी हैं। जो कभी कभी यहां से गुजरने वाले पर्यटकों के वाहन के सामने आ जाते हैं। प्रकृति प्रेमियों के लिए इन जगहों पर जाने का सबसे अच्छा समय अगस्त से फरवरी तक है।