देवता या राक्षस ! जानें किस श्रेणी में आते हैं आप, नहीं जानना पड़ सकता है भारी…

हर रोज खुद को स्वस्थ और तरोताजा रखने के लिए उचित खानपान के साथ स्नान का भी खास महत्व है। नियमित रूप से स्नान करने से यह शरीर की दुर्गन्ध को दूर करता है, बैक्टीरिया को दूर भगाता है, आलस्य नहीं आने देता इत्यादि।

नहाने के इन फायदों के बारे में तो हम सभी जानते हैं, लेकिन क्या आपने कभी ऐसा सुना है कि स्नान का संबंध हमारी सुख-समृद्धि से भी है।

बात अगर हिन्दू धर्म की करें तो इसमें पवित्र नदियों में स्नान करने को शुभ बताया गया है। इसके साथ ही प्रत्येक शुभ काम को करने से पहले स्नान को अनिवार्य माना गया है।

देवता या राक्षस ! जानें किस श्रेणी में आते हैं आप

शास्त्रों में स्नान से संबंधित इस बात का उल्लेख मिलता है कि दिन के किस समय किया गया स्नान क्या महत्व रखता है। यानि कि धर्म शास्त्र में स्नान को चार उपनाम दिए गए हैं। आइए इनके बारे में जानकर पता लगाते हैं कि किस समय नहाने से इंसान किस श्रेणी में आता है।

ब्रह्म मुहूर्त यानि कि सुबह 4-5 के बीच किया गया स्नान मुनि स्नान कहलाता है। शास्त्रों में मुनि स्नान को सबसे शुभ माना गया है।

जो व्यक्ति प्रतिदिन मुनि स्नान करता है उसके घर में हमेशा सुख-शांति बनी रहती है इसके साथ ही उसका शारीरिक बल भी बना रहता है और दिमाग भी शांत रहता है।

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सुबह 5-6 के बीच जो स्नान किया जाता है,उसे देव स्नान के नाम से जाना जाता है। इससे इंसान को अपनी जिंदगी में यश,सुख और शांति मिलती है। मानव स्नान

अब बात करते हैं मानव स्नान के बारे में। सुबह 6 से 8 बजे के बीच में किया गया स्नान मानव स्नान माना जाता है। मानव स्नान करने से व्यक्ति को अपने हर काम में सफलता मिलती है। इसके साथ ही परिवार में एकता स्थापित होती है।

जो व्यक्ति सुबह के 8 बजे के बाद स्नान करता है उसे राक्षस स्नान कहा जाता है। शास्त्रों में राक्षस स्नान को सबसे निकृष्ट माना गया है।

ऐसा कहा गया है कि इसे करने से इंसान को सदैव बचना चाहिए। हर रोज राक्षस स्नान करने से व्यक्ति को अपने जीवन में दरिद्रता और तंगहाली का सामना करना पड़ता है।

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