दुनिया में 3000 साल पहले यहाँ उगा था लौंग का पेड़, लेकिन फिर हुआ कुछ ऐसा…
लौंग का इस्तेमाल तो आपने किया ही होगा, या तो मसाले के रूप में या दांत में दर्द होने पर। इस मसाले का उपयोग भारतीय खानों में बहुत किया जाता है।
आज भले ही लौंग दुनियाभर में अपनी पहचान बना चुका है, लेकिन क्या आपको पता है कि दुनिया में पहली बार लौंग का पेड़ कहां उगा था? इसका एक लंबा इतिहास है।
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, आज से करीब तीन हजार साल पहले लौंग का पेड़ सिर्फ पूर्वी एशिया के कुछ द्वीपों पर ही हुआ करता था। कहा जाता है कि इंडोनेशिया के टर्नेट द्वीप पर दुनिया का सबसे पुराना लौंग का पेड़ है।
टर्नेट द्वीप के ज्यादातर हिस्से में ज्वालामुखी हैं, लेकिन फिर भी यहां बड़ी संख्या में लोग घूमने आते हैं। बीबीसी की रिपोर्ट कहती है कि 3-4 हजार साल पहले टर्नेट, टिडोर और उसके आस-पास के कुछ द्वीपों पर लौंग के पेड़ पाए जाते थे।
लौंग का कारोबार करके इन द्वीपों पर रहने लोग उस समय काफी अमीर हो गए थे।
कहते हैं कि जब टर्नेट और टिडोर के सुल्तानों के पास लौंग के कारोबार से काफी दौलत आ गई, तो वो खुद को कुछ ज्यादा ही ताकतवर समझने लगे और आपस में ही लड़ने लगे।
इस बात का फायदा उठाकर अंग्रेज और डच कारोबारियों ने उन इलाकों पर कब्जा कर लिया, जहां भारी मात्रा में लौंग पाए जाते थे। कई सालों तक ये द्वीप यूरोपीय देशों के उपनिवेश रहे हैं।
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इन द्वीपों पर कई तरह के जीव-जंतु भी पाए जाते हैं। यहां उड़ने वाले मेंढक भी पाए जाते हैं। उन्नीसवीं सदी में अंग्रेज वैज्ञानिक अल्फ्रेड रसेल वॉलेस ने नई नस्लों की खोज में इन द्वीपों पर कई साल बिताया था।
साल 1862 में जब वो वापस लंदन चले गए, वो अपने साथ करीब सवा लाख से भी ज्यादा प्रजातियों के नमूने लेकर गए थे। आज उन्हीं की वजह से हमें जानवरों की कई सारी नस्लों के बारे में जानकारी मिली है।