
कहा जाता है कि एक स्वस्थ शरीर में एक स्वस्थ मस्तिष्क वास करता है। लेकिन शरीर स्वस्थ तभी हो सकता है जब आप पूरी तरह से नींद लें। कहते हैं स्वस्थ शरीर के लिए सही खान-पान, व्यायाम और फिर अच्छी और पूरी नींद बहुत जरूरी होती है। इंसानों में नींद को लेकर कई बार शोध किए गए है। रेबेका स्पेंसर अमरीका की मैसाचुसेट्स यूनिवर्सिटी में न्यूरोसाइंटिस्ट हैं, वो नींद पर अलग-अलग प्रयोग कर रही हैं। जब रेबेका की बेटी ने प्ले स्कूल जाना शुरू किया, तो उन्होंने अपनी बेटी में वही देखा, जो बहुत से मां-बाप को दिखता है।

रेबेका ने देखा कि एक झपकी कितनी कारगर होती है। जब भी उनकी बेटी झपकी ले लेती थी, तो उसके बाद वह तरोताजा दिखने लगती थी। वहीं, उस झपकी के बगैर रेबेका की बेटी सुस्त और खीझी हुई मालूम होती थी। रेबेका कहती हैं कि जो बच्चे झपकी नहीं ले पाते, वो जज्बाती तौर पर उखड़े-उखड़े से रहते हैं। आखिर इसकी क्या वजह है? क्या बच्चों की नींद का ताल्लुक उनके जज्बातों से है?
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सोने के दौरान एमिग्डाला इन यादों को अहमियत देते हुए ऊंचे पायदान पर रखता है। दिमाग इन्हें ज्यादा बेहतर ढंग से संजो कर रखता है। भविष्य में जरूरत पड़ने पर हम इन यादों को ज्यादा आसानी से दोहरा पाते हैं। नींद लेकर हम यादों को सहेजने की प्रक्रिया को नियमित करते हैं। साफ है कि नींद से हम याद रखने की क्षमता बढ़ा सकते हैं।