दिन पर दिन बदहाल होता यमुना का पानी,जलीय जीवों का बना मौत का कारण
मथुरा। यमुना का पानी वर्तमान में आचमन क्या सिंचाई के लायक भी नहीं है। कारण मथुरा से दिल्ली तक गंदे नालों के साथ-साथ फैक्टिरियों का केमिकल युक्त पानी का नदी में छोड़ा जाना है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी डॉ. अरविंद कुमार के अनुसार पिछले दो दिन से तो गूंची ड्रेन से दूषित पानी सीधे यमुना में गिर रहा है। इससे इसके जल में प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है।
मथुरा में दो दर्जन से अधिक नालों में निकली गंदगी के साथ ही फैक्ट्रियों का गंदा पानी भी यमुना में मिल रहा है। इसके चलते यमुना में घुलित आक्सीजन की मात्रा 5 मिलीग्राम प्रतिलीटर से नीचे ही रहती है, जबकि बीओडी की मात्रा 10 मिलीग्राम प्रति लीटर रहती है। इस जल में सोडियम की मौजूदगी भी दर्शाई गई है।
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आलम यह है कि प्रदूषण के कारण यमुना में जलीय जीवों की संख्या नगण्य हो चुकी है। मथुरा के ग्रामीण इलाकों में किसान इसके पानी का उपयोग दस सालों से सिंचाई के लिए भी नहीं कर रहे हैं। उनके मुताबिक इससे बीज पनपता ही नहीं है। फसल की उपत्पादकता पचास फीसदी तक घट जाती है।
केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड की रिपोर्ट में दो साल पहले यमुना के पानी के नियमित स्नान से त्वचारोग की संभावना भी व्यक्त कर चुकी है। दो दिन पहले यमुना कार्य योजना की बैठक में याची गोपेश्वरनाथ चतुर्वेदी और कांतानाथ चतुर्वेदी ने यह मुद्दा जोरदार तरीके से डीएम के समक्ष उठाया था, लेकिन सुधार की कवायद शुरू नहीं की गई।