शास्त्रों से लेकर विज्ञान तक दक्षिण दिशा में पैर रखकर सोना है वर्जित, जानिए वजह

दक्षिण दिशा में पैर हिंदू धर्म में कई मान्यताएं हैं, जिनको आज भी लोग पूरी निष्ठा से मानते हैं. कई मान्यताएं ऐसी भी जो वैज्ञानिक रूप से भी सही होती हैं. अक्सर अपने बड़े-बुजर्गो से सुना होगा कि दक्षिण दिशा में पैर रखकर नहीं सोना चाहिए. हिंदू शास्त्रों और वास्तुविदों के अनुसार दक्षिण दिशा में पैर रखकर सोना अनुचित है. वैज्ञानिक दृष्टि से भी इसे वर्जित माना गया है.

इस दिशा में पैर रख कर सोने से मानसिक और शारीरिक परेशानियां होती हैं. कई लोगों को इसकी वजह पता होगी लेकिन कई ऐसे भी है, जिन्हें इस बारे में नहीं पता है.

साइंस की नजर से देखा जाए तो पृथ्वी के दोनों ध्रुवों उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव में चुम्बकीय प्रवाह विद्यमान है. दक्षिण में पैर रखकर सोने से व्यक्ति की शारीरिक ऊर्जा का क्षय होता है और वह जब सुबह उठता है तो थकान महसूस करता है, जबकि दक्षिण में सिर रखकर सोने से ऐसा कुछ नहीं होता.

उत्तर दिशा की ओर धनात्मक प्रवाह रहता है और दक्षिण दिशा की ओर ऋणात्मक प्रवाह रहता है. हमारा सिर का स्थान धनात्मक प्रवाह वाला और पैर का स्थान ऋणात्मक प्रवाह वाला है. यह दिशा बताने वाले चुम्बक के समान है कि धनात्मक प्रवाह वाले आपस में मिल नहीं सकते.

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हमारे सिर में धनात्मक ऊर्जा का प्रवाह है जबकि पैरों से ऋणात्मक ऊर्जा का निकास होता रहता है. यदि हम अपने सिर को उत्तर दिशा की ओर रखेंगे को उत्तर की धनात्मक और सिर की धनात्मक तरंग एक दूसरे से विपरित भागेगी, जिससे हमारे मस्तिष्क में बेचैनी बढ़ जाएगी और फिर नींद अच्छे से नहीं आएगी.

जबकि यदि हम दक्षिण दिशा की ओर सिर रखकर सोते हैं तो हमारे मस्तिष्क में कोई हलचल नहीं होती है और इससे नींद अच्छी आती है. उत्तर की ओर सिर रखकर नहीं सोना चाहिए.

इस दिशा में रखें सिर

पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर सिर करके सोना अनेक बीमारियों को दूर रखता है.

इन दिशाओं में सिर रखकर सोने से लंबी आयु प्राप्त होती है और स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है. इसके विपरीत उत्तर या पश्चिम दिशा में सिर रखकर सोने से स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचता है. शास्त्रों के अनुसार यह अपशकुन भी है.

 

 

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