देव भूमि की इस जगह पर पार्वती जी बनीं थी भोले बाबा की अर्धांगिनी

त्रियुगी नारायण मंदिर बीते दिनों महाशिवरात्रि पर्व को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया है. इस दिन को भगवान शिव और माँ पार्वती के विवाह के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. लेकिन क्या आपको कभी ऐसी जगह जाने का मौका मिला है, जहां देवों के देव ने विवाह किया.  भोले का विवाह उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग ज‌िले के त्रियुगी नारायण गांव में हुआ था. अब इस जगह पर मंदिर है, जिसे त्रियुगी नारायण मंदिर कहते हैं. इसी जगह दोनों का विवाह हुआ था.

शिव और पार्वती ने जिस अग्नि कुंड के सात फेरे लिए थे. वह कुंड अभी तक प्रज्जवलित है. यहां प्रसाद रूप में लकड़ियां चढ़ाई जाती हैं. इस कुंड की राख को लोग अपने घर ले जाते हैं.

ब्रह्मा जी ने शिव और पार्वती का विवाह कराया था और उस दौरान दोनों जिस जगह पर बैठे थे. उस जगह को भी पूजा जाता है.

विवाह से कराने से पहले ब्रह्मा जी ने जिस कुंड में स्नान किया था. उसे ब्रह्मकुंड कहते हैं. इसमें नहाने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं.

ब्रह्मा के साथ इस विवाह में विष्णु जी भी शामिल हुए थें. उन्होंने माँ पार्वती के भाई की भूमिका निभाई थी.

वहीं विवाह में शामिल हुए अन्य देवताओं में जिस कुंड में स्नान किया था, उसे रुद्र कुंड कहते हैं.

ऐसा माना जाता है कि इस जगह आने से वैवाह‌िक जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं. यहां विवाह करना भी शुभ माना जाता है. लोगों का मानना है कि जो जोड़े इस मंदिर में गठबंधन करते हैं. वह कभी नहीं टूटते हैं.

 

 

LIVE TV