
कोरोना का डेल्टा वेरिएंट का संक्रमण अभी थमा भी नहीं था कि इसके एक और वेरिएंट ने दस्तक दे दी है। हम जिस वेरिएंट की बात कर रहे हैं उसका नाम है “लैम्बडा”। इस वेरिएंट ने करीब 30 से ज्यादा देशों में दस्तक दी है। वहीं, वैज्ञानिक एवं स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस लैम्बडा वेरिएंट को एक नए उभरते खतरे के रूप में देख रहे हैं। 14 जून को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोरोना का सबसे नया एवं सांतवां वेरिएंट बताया था। इसका वैज्ञानिक नाम सी.37 दिया गया है। डब्ल्यूएचओ ने इस नए वैरिएंट के व्यवहार पर नजर रखने की सलाह दी है। वहीं यह भी आशंका जताई जा रही है कि ये वेरिएंट सबसे ज्यादा घातक होगा। इस नए वेरिएंट के सबसे ज्यादा केस पेरू और दक्षिण अमेरिका में अधिक देखे गए हैं।

कुछ रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया है कि लैम्बडा वेरिएंट नया नहीं है। कम से कम अगस्त 2020 की शुरुआत से दुनिया में इसकी उपस्थिति है। माना जाता है कि पहली बार यह वेरिएंट पेरू में मिला। इस देश में करीब 80 प्रतिशत संक्रमण इसी वेरिएंट से फैला है। पड़ोसी चिली में भी यह वेरिएंट प्रभावी पाया गया है। अब तक यह वेरिएंट इक्वाडोर, अर्जेंटीना सहित कुछ दक्षिण अमेरिकी देशों में पाया गया है। मार्च के बाद यह वेरिएंट 25 से ज्यादा देशों में पाया गया है।
हालांकि भारत और उसके पड़ोसी देशों में कोरोना का यह नया वेरिएंट नहीं मिला है। इजरायल में इस वेरिएंट ने दस्तक दी है। यूरोपीय देशों फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन और इटली में लैम्बडा वेरिएंट से संक्रमण मिले हैं। समझा जाता है कि कोरोना के नए वेरिएंट में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को चकमा देने की काबिलियत आ जा रही है, इसी की वजह से यूरोप के कई देशों में जहां बड़ी संख्या में लोगों का टीकाकरण हो चुका है, वहां पर लोग संक्रमण के दायरे में आ रहे हैं। ब्रिटेन में हाल के दिनों में संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े हैं।