बिहार : मुजफ्फरपुर बालिका आश्रयगृह कांड पर विधानसभा में हंगामा, कार्यवाही बाधित

पटना। बिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन गुरुवार को भी विधानसभा और विधान परिषद में विपक्ष का हंगामा जारी रहा। विपक्ष ने गुरुवार को मुजफ्फरपुर बालिका आश्रयगृह में 34 बच्चियों के साथ दुष्कर्म के मामले को लेकर जमकर हंगामा किया, जिससे सदन की कार्यवाही बाधित होती रही।

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सरकार ने हंगामे के बीच हालांकि कई विधायी कार्य निपटाए। शीतकालीन सत्र के चौथे दिन गुरुवार को विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष के सभी सदस्य मुजफ्फरपुर बालिका आश्रयगृह में लड़कियों के साथ हुए दुष्कर्म मामले को लेकर हंगामा मचाया।

विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने इस मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर के मोबाइल फोन के कॉल डिटेल को सार्वजनिक करने की मांग की। इसके बाद विपक्षी सदस्य हंगामा करते रहे।

विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी और संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने विपक्षी सदस्यों से जनहित के मुद्दे के लेकर प्रश्नोत्तर काल चलाने का आग्रह किया, लेकिन हंगामा थमा नहीं।

विधानसभा अध्यक्ष ने विपक्षी सदस्यों से कहा, “सदन की कार्यवाही नियमानुकूल चलने दें। सदन विमर्श का सदन है और जनहित में सदन को चलने दें।”

बाद में हंगामे के कारण अध्यक्ष ने विधानसभा की कार्यवाही पहले दो बजे तक और फिर शाम 4़55 तक के लिए स्थगित कर दी। इस दौरान हंगामे के बीच उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने चालू वित्तीय वर्ष का 10463़ 18 करोड़ रुपये से संबंधित विनियोग विधेयक पेश किया।

आपदा प्रबंधन मंत्री दिनेशचंद्र यादव ने द्वितीय अनुपूरक बजट के तहत 1475़25 करोड़ रुपये की अनुदान मांग पेश की, जिसे पास कर दिया गया। इसके बाद सदन की कार्यवाही शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।

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इधर, विधानमंडल में भी हंगामे का दौर चलता रहा। कार्यवाही शुरू होने के साथ ही विपक्ष हंगामा करता रहा। पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने कहा कि बालिका आश्रयगृहों की सही ढंग से जांच हो जाए तो कई सफेदपोश फंसेंगे। उन्होंने नीतीश कुमार पर दोषियों को बचाने का आरोप लगाया।

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इधर, राज्य के संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने कहा, “सदन की कार्यवाही नियम और नियमावली से चलता है। किसी की हठधर्मिता से सदन नहीं चलता। सरकार सभी मुद्दों पर जवाब देने को तैयार है, लेकिन विपक्ष की हठधर्मिता के कारण चौथे दिन भी सदन की कार्यवाही बाधित रही।”

उल्लेखनीय है कि बिहार विधानमंडल का शीतकालीन सत्र मात्र पांच दिनों का है और इनमें से तीन दिन विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ चुके हैं।

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