तीन तलाक सुनवाई : सभी धर्मों के जजों ने रखी अपनी बात लेकिन मुस्लिम जज ने…

तीन तलाकनई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक पर लगातार सुनवाई हो रही है। विभिन्न धर्मों को मानने वाले जजों के पैनल के सामने तीन तलाक को चुनौती देने वाली याचिका पर गुरुवार को सुनवाई पूरी हो गई। लेकिन, दिलचस्प बात यह है कि पैनल में शामिल मुस्लिम जज जस्टिस अब्दुल नजीर ने छह दिनों की सुनवाई के दौरान एक शब्द भी नहीं बोला। जस्टिस नजीर के अलावा इस पैनल में एक सिख, एक इसाई, एक पारसी और एक हिंदू जज शामिल हैं।

चीफ जस्टिस जे. एस. खेहर और जस्टिस कुरियन जोसफ, जस्टिस आर. एफ. नरिमन और जस्टिस यू यू ललित मुस्लिम समुदाय के धार्मिक रीति-रिवाजों को लेकर किसी भी तरह के संदेह को दूर करने के लिए खुलकर पूछताछ करते रहे, लेकिन जस्टिस नजीर ने कोई सवाल नहीं किया। संभव है कि वह भारत और दुनिया के अन्य देशों के मुसलमानों में तीन तलाक की उत्पत्ति, इससे जुड़े रिवाज और इसके प्रसार से पूरी तरह अवगत हों।

सर दिनशा फर्दूनजी मुल्ला के इस्लामिक कानून की व्याख्या पर किए गए कार्य का संदर्भ दिए बिना देश की किसी भी अदालत में मुसलमानों के किसी भी रीति-रिवाज या व्यक्तिगत कानून पर सुनवाई पूरी नहीं हो सकती। गुरुवार को जब वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीद ने मुल्ला का जिक्र किया तो जस्टिस नरीमन ने कहा, ‘मुल्ला न केवल इस्लामी कानून के महान विद्वान थे, बल्कि मेरी तरह एक योग्य पुजारी भी थे, जैसा कि मैं पारसी समुदाय का हूं।’

एक ओर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) इस बात पर अड़ा है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के नियमों की वैधता का परीक्षण अदालतों में नहीं हो सकता, तो दूसरी ओर याचिकाकर्ता इस बात पर कायम हैं कि तीन तलाक मुस्लिम समुदाय पर एक धब्बे की तरह है जिसकी आड़ में महिलाओं को समान अधिकार से वंचित किया जाता है।

सुनवाई पूरी होते-होते मतभेद गहरे हो गए और वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट को तलवार की धार पर चलना होगा। इसमें बचने का कोई रास्ता नहीं है।’ इस पर चीफ जस्टिस खेहर ने हल्के-फुल्के अंदाज में जवाब दिया, ‘अगर हम तलवार की धार पर चलेंगे तो हम दो हमारे दो टुकड़े हो जाएंगे।’

LIVE TV