बड़ी खबर : पर्सनल लॉ बोर्ड ने खोल दीं मुस्लिमों की आंखें, ख़त्म होगा मतलब के लिए बना ये कानून

तीन तलाकनई दिल्ली। केंद्र सरकार की तमाम कोशिशों के बाद अब मुस्लिम महिलाओं को भी समाज में बराबरी का अधिकार मिलने के दिन आते नज़र आ रहे हैं। इस संबंध में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अब भी नए नए कायदे ला रहा है। बोर्ड ने रविवार को कहा कि शरिया कारणों के बिना तीन तलाक देने वालों का सामाजिक बहिष्‍कार किया जाएगा।

तीन तलाक पर सामाजिक बहिष्कार

ख़बरों के मुताबिक़ बोर्ड ने रविवार को कहा कि सिर्फ शरिया कारणों के बिना तीन तलाक देने वालों का सामाजिक बहिष्‍कार किया जाएगा।

बता दें इससे चार दिन पहले बोर्ड ने कहा था कि अगले डेढ़ साल में तीन तलाक को खत्‍म कर दिया जाएगा, इस मामले में सरकार को दखल देने की जरुरत नहीं है।

बोर्ड ने दावा किया था कि देशभर की साढ़े तीन करोड़ मुस्लिम महिलाओं ने शरीयत और तीन तलाक का समर्थन किया है। इसके साथ ही बोर्ड ने बाबरी मस्जिद मुद्दे पर उच्‍चतम न्‍यायालय के फैसले को मानने की बात भी कही है।

शिया समुदाय ने आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की बैठक से पहले अपील की थी कि बोर्ड तीन तलाक की व्यवस्था पर कुरान और शरीयत की रोशनी में इंसानियत के तकाजे को देखते हुए विचार करे।

इस मामले में केंद्र ने उच्चतम न्यायालय से कहा है कि ‘तीन तलाक’, ‘निकाह हलाला’ और बहु विवाह मुस्लिम महिलाओं के सामाजिक स्तर और गरिमा को प्रभावित करते हैं। यह उन्हें संविधान में प्रदत्त मूलभूत अधिकारों से वंचित करते हैं।

शीर्ष न्यायालय के समक्ष दायर ताजा अभिवेदन में सरकार ने अपने पिछले रुख को दोहराया है और कहा है कि ये प्रथाएं मुस्लिम महिलाओं को उनके समुदाय के पुरुषों की तुलना में और अन्य समुदायों की महिलाओं की तुलना में ‘‘असमान एवं कमजोर’’ बना देती हैं।

सरकार ने कोर्ट में मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के हलफनामे का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने खुद माना है कि शरियत में तीन तलाक अनचाही प्रथा है।

अपनी दलील में सरकार ने ये भी कहा है कि तीन तलाक जैसी प्रथाओं को संविधान के अनुच्छेद 25 का संरक्षण नहीं दिया जा सकता।

हाल ही में उपराष्‍ट्रपति हामिद अंसारी की पत्‍नी सलमा अंसारी ने भी तीन तलाक के विरोध में आवाज उठाई थी। उन्‍होंने कहा था कि केवल तीन बार तलाक बोल देने से तलाक नहीं हो जाता है।

उन्‍होंने महिलाओं से कहा कि वे मौलवियों की बात मानने के बजाय कुरान को ठीक से पढ़े। सलमा अंसारी ने कहा था, “यदि आपने कुरान पढ़ी है तो आपको पता चलेगा कि समाधान उसके अंदर ही है। कुरान में ऐसा कोई नियम नहीं है। यह सब उन्‍होंने बनाया है।”

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