झारखंड विधानसभा चुनाव- नहीं मिला ‘राम’ और ‘धारा – 370’ का साथ,  धरा रह गया नागरिकता संशोधन कानून

आज झारखंड में विधानसभा चुनावों के नतीजे आ रहे हैं। केंद्र की मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल-2 में राष्ट्रीय मुद्दों को प्रमुखता से उठाया औऱ उनपर अपना फैसला भी सुनाया। बीजेपी के नेताओं ने अपने राम मंदिर निर्माण और कश्मीर से धारा-370 हटाए जाने के फैसले का झारखंड चुनाव में जोर-शोर से प्रचार किया। भाजपा को पूरी उम्मीद थी कि जनता भाजपा के लिए गए इस फैसलों का दिल से समर्थन करेगी लेकिन अभी तक के चुनाव परिणाम को देखकर लगता है कि जनता ने इन सभी फैसलों पर पानी फेर दिया है।

झारखंड विधानसभा चुनाव

राममंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को अपना फैला सुनाया था. सुप्रीम कोर्ट का फैसला हिंदुओं के पक्ष में आने के बाद से ही बीजेपी इसे अपनी जीत बता रही थी। झारखंड चुनाव में भी बीजेपी ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया. गृहमंत्री अमित शाह ने चुनाव प्रचार में राम मंदिर का जिक्र करते हुए राम मंदिर निर्माण की तारीख तक बता दी। अमित शाह ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा कि अयोध्या में अगले चार महीने में आसमान छूता राममंदिर दिखाई देगा, लेकिन जनता ने इस मुद्दे को सिरे से नकार दिया।

अगस्त में बीजेपी ने कश्मीर से धारा 370 और आर्टिकल 15ए खत्म कर कश्मीर को दो हिस्सों में बांट दिया था। देशभर में बीजेपी के निर्णय को समर्थन मिला था।  बीजेपी का मानना था कि इस मुद्दे पर उसे चुनाव में जनता का भरपूर समर्थन मिलेगा. लेकिन ऐसा नहीं हो सका. जनता ने इस मुद्दे को सिरे से नकारते हुए स्थानीय मुद्दों को ही प्रमुखता दी।

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कश्मीर से धारा 370 और आर्टिकल 15 ए के हटाए जाने का कश्मीर की जनता ने स्वागत किया था। पूरे देश में भाजपा के इस फैसला की प्रशंसा भी हुई थी। धारा खत्म कर मोदी ने कश्मीर को दो हिस्सों में बांट दिया। भाजपा को पूरी उम्मीद थी कि जनता राष्ट्रीय स्तर पर लिए गए इस फैसलों का स्वागत करेगी। लेकिन जनता ने राष्ट्रीय मुद्दों से परे हटकर अपने मुद्दों को प्रमुखता दी। यही वजह है कि अभी तक को चुनाव परिणामों में भाजपा पीछे चल रही है।

 

 

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