
नई दिल्ली। शुक्रवार, 30 जून 2017 यानी आज रात जीएसटी लागू कर दिया जाएगा। इस फैसले को लेकर पीएम मोदी संग भाजपा खुद को गौरवान्वित महसूस कर रही है। वहीं केंद्र सरकार के इस फरमान से व्यापारियों की रातों की नींद उड़ गई है। बता दें सरकार ने पहले इस बात का विश्वास दिलाया था कि जीएसटी 18 फीसदी से अधिक नहीं होगा। अब उसके लागू होने से पहले कर 28 फीसदी तक बढ़ा दिए गए। यही व्यापारियों की परेशानी की असल वजह सामने आ रहे है। ख़ास कर छोटे और मंझोले व्यापारियों को यह नहीं समझ आ रहा कि आखिर इसके लागू होने के बाद उनके व्यापार का क्या होगा। नोटबंदी के बाद अब जीएसटी की मार क्या गुल खिलाएगी।
जीएसटी की नई कर नीति से व्यापारी सबसे ज्यादा उलझन और परेशानी में हैं। हालत यह है कि व्यापारियों ने अपना सामान काफी कम दर पर बेचना शुरू कर दिया है।
कार डीलरों ने भी अपनी गाड़ियों की कीमतों से मुनाफा घटा दिया है। दामों में रियायत पहले नवंबर-दिसंबर के महीनों में दी जाती थी, वह रियायत जून माह में ही दी जा रही है।
सरकार के आदेशानुसार जीएसटी लागू होने के बाद सभी कारोबारियों को अपने व्यापार को कंप्यूटरीकृत सिस्टम में लाना होगा।
देश में अब हर प्रकार की सेवाओं की आपूर्ति एवं वस्तुओं के निर्माण, खरीद-बिक्री, एक्सचेंज, लाइसेंस, लीज, रेंट, ट्रांसफर, डिस्पोजल और माल अथवा सेवाओं का दूसरे देश से आयात करने पर समान जीएसटी देनी होगी।
वैट, एक्साइज, सर्विस टैक्स, केंद्रीय बिक्री कर सहित अन्य अनेक प्रकार के कर जीएसटी में शामिल होंगे और सबके स्थान पर केवल जीएसटी ही लगेगा। पूरे देश में एक समान कानून और कर की दरें भी एक समान ही होंगी।
दिल्ली में एक व्यापारी का कहना है कि उनका धंधा चीन के सामान का आयात करके और फिर उसे भारत के अलग-अलग राज्यों में सप्लाई का है। जीएसटी लागू होने के बाद उन्हें सारी खरीद फरोख्त अब कागजों में दिखानी होगी।
इन विदेशी सामान की खरीद फरोख्त को वे किस तरह से कागजों में दिखाएगें, ये उनकी समझ से परे है।
वर्तमान में वैट व्यवस्था में आपको अपनी रिटर्न कागजों माध्यम से अनेक बार विभाग में जमा करनी होती थीं लेकिन जीएसटी में केवल एक बार अपनी बिक्री की रिटर्न फार्म जीएसटीआर 1 में भर कर कंप्यूटर द्वारा जीएसपी, जीएसटी सुविधा प्रोवाइडर के माध्यम से फार्म जीएसटी नेटवर्क को भेजनी होगी।
सरकार की ओर से कई उत्पादों की कर प्रणाली में काफी बदलाव किया गया है। उसे लेकर भी कारोबारियों में नाराजगी है।
वहीं दिल्ली के ऑटोमोबाइल व्यापारी नरेंद्र मदान का कहना है कि उनके व्यापार पर पहले साढ़े बारह फीसद टैक्स लगता था, जो अब बढ़कर 28 फीसद हो जाएगा। मदान के अनुसार व्यापारी पहले नोटबंदी से परेशान थे अब जीएसटी उनकी परेशानी बढ़ा रहा है।
उनका कहना है कि सरकार के इस फरमान से देश से छोटा और माध्यम श्रेणी का व्यापार ख़त्म हो जाएगा। साथ ही सालाना डेढ़ करोड़ टर्न ओवर वाले व्यापारियों को पहले जो उत्पाद शुल्क से छूट प्राप्त होती थी, वह भी अब नहीं मिल पाएगी।
सरकार भले ही इस फैसले के साथ देश का विकास देख रही है, लेकिन व्यापारियों के लिए जीएसटी का फरमान किसी से तबाही कम नहीं।