जान ले आतंकियों के ये Code Word, किसी भी जगह से करें देश की सुरक्षा

पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी संगठन “जैश-ए- मोहम्मद” के ट्रेनिंग कैंप से जुड़ी कई बातें सामने आई हैं. बताया जा रहा है कि बालाकोट में ट्रेनिंग के दौरान आतंकियों को सीक्रेट कोड्स दिए जाते थे. जिनके जरिये वो अपने साथी और आकाओं से बात किया करते थे.

सूत्रों के अनुसार, बालाकोट में ट्रेनिंग के बाद आतंकियों को POK के रास्ते कश्मीर वैली में भेजा जाता था. इसके लिए बालाकोट से 98 KM सड़क मार्ग से आतंकियों को केल और दुधनियाल लॉन्च पैड लाया जाता था. इसके बाद कुपवाड़ा में आतंकियों की घुसपैठ होती थी.

आतंकी कैंथहावली फॉरेस्ट से होते हुए मगाम फारेस्ट आते थे फिर पाक हैंडलर्स उन्हें कुपवाड़ा पहुंचाने का काम करते थे.
यह भी पता लगा है कि घुसपैठ के समय जैश के आतंकियों को कोड वर्ड दिए जाते थे.

भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक, जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों के मेन हैंडलर कोड की ट्रेनिंग देते थे. जिसमें यह बताया जाता था कि आतंकी कश्मीर में घुसपैठ करने के दौरान पाक अधिकृत कश्मीर में आई एस आई के द्वारा दिए गए कोड का इस्तेमाल करेंगे.

फिर उसी कोड के आधार पर वह आतंकी सीमा के उस पार घुसपैठ करते हैं. घुसपैठ करने के बाद किसी भी “आईकॉम” यानी वायरलेस सेट से बातचीत नहीं करते थे.

सूत्रों का कहना है कि आतंकियों से Code name पूछा जाता था. यह भी पता लगा है कि Romiyo-POK मुख्य हैंडलर्स का कोड था जो लॉन्च पैड पर मौजूद रहा करते थे.

इसके अलावा TANGO 2 कोड का मतलब था कि 5 आतंकी को भारत के अंदर एक साथ घुसपैठ करना है. Code ali@Alpha का मतलब होता है आतंकी और उसका नाम.

Code @माइक-ISI उस आदमी का कोड होता था जो रास्ता बताता था. Code@Hotel-कश्मीर घाटी में हैंडलर मदद के लिए तैयार होता रहा. Code@hotel2 का मतलब दूसरा हैंडलर भी तैयार है.

खुफिया सूत्रों ने यह भी जानकारी दी है कि इसके लिए मुजफ्फराबाद के ऑफिस से इनको कंट्रोल किया जाता था. इस कंट्रोल रूम को “कंट्रोल 88” कहा जाता था. यानी कि इन आतंकवादियों को आई एस आई की मदद से जैश-ए-मोहम्मद के मुजफ्फराबाद में एक कंट्रोल रूम दिया गया था, जहां से घुसपैठ के लिए आतंकवादियों को निर्देश दिए जाते थे.

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बॉर्डर क्रॉस करने के बाद पाकिस्तान में मौजूद आतंकी हैंडलर लगातार इन आतंकवादियों से कोड वर्ड के जरिए इनको हिदायत दिया करते थे. जानकारी यह भी है कि घुसपैठ के बाद आतंकी कम्युनिकेशन लैंग्वेज के लिए कोडिफाइड लैंग्वेज का इस्तेमाल करते थे जिसके लिए मैट्रिक्स सीट इन लोगों को बकायदे दी जाती थी.

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