जानें क्यों 15 अगस्त को ही भारत की आजादी के लिए चुना गया, जिसके जश्न में शामिल न हो सके गांधी जी

स्वतंत्रता दिवस हर साल 15 अगस्त को मनाया जाता है. भारत इस बार 15 अगस्त को 73वां स्वतंत्रता मनाएगा. हमारे पीएम नरेंद्र मोदी जी दिल्ली के लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगे. लोग पंगत उड़ाकर आज़ादी का जश्न मनाएंगे. इसी के साथ ही एक-दूसरे को स्वतंत्रता दिवस की बधाई दी जाएगी. 15 अगस्त 1947 को भारत को अंग्रेजों के शासन से आजादी मिली थी और यही कारण है कि 15 अगस्त का दिन हर किसी के लिए बेहद खास है.

15 अगस्त

भारत की आजादी के जश्न में महात्मा गांधी शामिल नहीं हुए थे. जब भारत को आजादी मिली थी तब महात्मा गांधी बंगाल के नोआखली में हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच हो रही सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए अनशन कर रहे थे.

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लेकिन क्या आपने सोचा है कि देश की आजादी के लिए 15 अगस्त की तारीख को ही क्यों चुना गया?  इस बारे में अलग-अलग इतिहासकारों की मान्यताएं भिन्न हैं. कुछ इतिहासकारों का मानना है कि सी राजगोपालाचारी के सुझाव पर माउंटबेटन ने भारत की आजादी के लिए 15 अगस्त की तारीख चुनी.

सी राजगोपालाचारी ने लॉर्ड माउंटबेटन को कहा था कि अगर 30 जून 1948 तक इंतजार किया गया तो हस्तांतरित करने के लिए कोई सत्ता नहीं बचेगी. ऐसे में माउंटबेटन ने 15 अगस्त को भारत की स्वतंत्रता के लिए चुना.

वहीं, कुछ इतिहासकारों का मानना है कि माउंटबेटन 15 अगस्त की तारीख को शुभ मानते थे इसीलिए उन्होंने भारत की आजादी के लिए ये तारीख चुनी थी. 15 अगस्त का दिन माउंटबेटन के हिसाब से शुभ था क्योंकि द्वितीय विश्व युद्ध के समय 15 अगस्त, 1945 को जापानी आर्मी ने आत्मसमर्पण किया था और उस समय माउंटबेटन अलाइड फ़ोर्सेज़ के कमांडर थे.

लोकसभा सचिवालय के एक शोध पत्र के मुताबिक नेहरू ने 16 अगस्त, 1947 को लाल किले से झंडा फहराया था. भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा रेखा का निर्धारण भी 15 अगस्त को नहीं हुआ था. इसका फैसला 17 अगस्त को रेडक्लिफ लाइन की घोषणा से हुआ.

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ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमंस में इंडियन इंडिपेंडेंस बिल 4 जुलाई 1947 को पेश किया गया. इस बिल में भारत के बंटवारे और पाकिस्तान के बनाए जाने का प्रस्ताव रखा गया था. यह बिल 18 जुलाई 1947 को स्वीकारा गया और 14 अगस्त को बंटवारे के बाद 14-15 अगस्त की मध्यरात्रि को भारत की आजादी की घोषणा की गई थी.

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