जानिए बड़े काम की चीज है भांग , रिसर्च में हुआ खुलासा…

भांग एक ऐसा नशा हैं जो हर किसी बीमारियों का इलाज है , वहीं रिसर्च में खुलासा हुआ हैं. जहां प्रोफेसर का कहना हैं की भांग से आप आसानी से पैसे भी कमा सकते हैं. वहीं अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, पुर्तगाल समेत कई देशों में भांग पर प्रतिबंध हट दिया गया है और अब ये देश हर साल भांग से ट्रिलियन डॉलर कमा रहे हैं। इन देशों में भांग से करीब 10 हजार प्रोडक्ट बन रहे हैं, जो बिकने के लिए भारत भी आते हैं।

 

बतादें की इसमें कपड़ा, साबुन, कॉस्मेटिक का सामान, दवाइयां, खाना, तेल आदि शामिल हैं। जहां प्रोफेसर ने बताया है कि यदि भांग पर प्रतिबंध हटाकर इसे कानूनी बनाया जाए, तो इससे अच्छी खासी कमाई हो सकती है। एनडीपीएस एक्ट काफी उलझाऊ है, इसका सरलीकरण होना चाहिए। इसके लिए उन्होंने भारत सरकार को एक प्रस्ताव भेजा है।

 

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खबरों के मुताबिक भांग का एक प्रकार कैनाबिस इंडिका है, जिसमें टेट्रा इाइड्रो कैनाबिनोल (टीएचसी) केमिकल पाया जाता है और जो नशे के लिए प्रयोग होता है। दूसरा प्रकार सताइवा है, जिसमें कैनाबिडोल (सीबीडी) पाया जाता है, जिसमें कम नशा होता है। जहां इसकी खेती 90 से 120 दिन में तैयार हो जाती है। जहां इसका पौधा दस से लेकर 25 फीट ऊंचाई तक जाता है। इसके लिए किसानों को ट्रेनिंग लेने की जरूरत भी नहीं पड़ती।

दरअसल प्रो. विनोद कुमार चौधरी ने हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, उड़ीसा समेत कई राज्यों का दौरा किया। चार साल तक उन्होंने अलग-अलग समय पर जाकर इन क्षेत्रों का दौरा किया। कनाडा व ऑस्ट्रेलिया में भी गए।

चीन की स्थिति को भी नजदीक से देखा। उन्होंने अपनी रिसर्च में पाया कि भारत में बनाए गए एनडीपीएस एक्ट को लेकर बहुत उलझनें हैं। किसान डर के कारण परंपरागत उत्पाद भी नहीं बना पा रहे हैं और न खेती कर रहे हैं। उत्तराखंड, हिमाचल आदि पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन का कारण भी भांग पर पाबंदी लगने को माना गया है।

रिसर्च में खुलासा हुआ हैं की भांग से नुकसान कुछ नहीं, लेकिन फायदे हजारों हैं। इसलिए एक्ट में बदलाव की आवश्यकता है। भांग पर सबसे पहले 1980 में अमेरिका ने प्रतिबंध लगाया था, लेकिन आज वहां प्रतिबंध हटा दिया और ट्रिलियन डॉलर का कारोबार हो रहा है।

जहां 12 साल की रिसर्च के बाद हेनरी फोर्ड ने 1941 में पहली कार भांग से बनाई थी। इंजन में लुब्रिकेंट डाला गया था। यह कार्बन नेगिटिव कार थी। स्टील के मुकाबले हैंप प्लास्टिक से बनी यह कार हल्की थी। इस गाड़ी को यदि कभी चोट भी लग जाती थी तो वह सेल्फ रिपयेर हो जाती थी।

 

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