जानिए बच्चों के बिस्कुट बनाने वाली ‘पार्ले’ के प्लांट में ही बच्चों से कराई जा रही मजदूरी…

बस इसी गीत की तर्ज़ पर, बच्चों के बिस्कुट बनाने वाली पार्ले, खुद बच्चों से अपने कारखाने में काम करवाती हुई पाई गई है. चलिए विस्तार से जानते हैं, माजरा क्या है?

मजदूरी

 

 

 

दरअसल थोड़ा और एक्सप्लोर करके बताएं तो हुआ दरअसल यूं कि महिला एवं बाल विकास विभाग को खबर मिली थी कि अमस्विनी (रायपुर) के एक Parle-G प्लांट में कुछ बच्चों से काम करवाया जा रहा है. SHO से कंप्लेंट के बाद, टास्क फोर्स ने फैक्ट्री पर छापा मारा. इस छापे में 26 बच्चों को रेस्क्यू किया गया. सभी बच्चे 13 से 17 साल के बीच के हैं.

 

बच्चों ने बताया कि उनसे 12 घंटे तक काम करवाया जाता है. सुबह के 8 से रात के 8 बजे तक फैक्ट्री में काम करते रहते हैं. लेकिन पैसे के नाम पर उन्हें सिर्फ 5000 से 7000 रूपया महीना दिया जाता है. ये बच्चे उड़ीसा, मध्य प्रदेश और झारखंड से हैं. जांच के बाद इन्हें जूवेनाईल शेल्टर होम भेज दिया गया. यहीं इनकी काउंसलिंग की जाएगी. बच्चों के माता-पिता को भी कॉन्टेक्ट करने की कोशिश जारी है.

महिला एवं बाल विकास विभाग ने इसकी कंप्लेंट SHO अश्विनी राठौर से की थी. 12 जून को वर्ल्ड डे अगेंस्ट चाइल्ड लेबर मनाया जाता है. इस बार बाल मजदूरी को रोकने के लिए कैंपेन चलाया गया है. इस कैंपेन के तहत पिछले छह दिनों में रायपुर के आस-पास के छह जिलों से 51 बच्चों को रेस्क्यू किया है.

वहीं चाइल्ड वैल्फेयर कमेटी ने सेक्शन 3, 3A, 14 (बाल मजदूरी पर पाबंदी) और धारा 370 (मजदूरों को गुलाम समझकर खरीदने औऱ बेचने) के अंदर मामला दर्ज करवाया है. कंपनी के मालिक विमल खेतान को जूवेनाइल जस्टिस एक्ट धारा 79 में लपेटा जा सकता है. जिसके तहत उन्हें 50,000 रूपयों का जुर्माना और 2 साल की जेल भी हो सकती है.

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