जानिए जौहरी आखिर इतनी आसानी से कैसे पहचान लेते हैं हीरे को , क्या हैं खास…

सुनार की एक अलग ही पहचान होती हैं. वहीं सुनार सोना चाँदी से लेकर हीरा तक पहचान लेता हैं. देखा जाये तो हीरे की क़ीमत उसकी क्लैरिटी, कलर और कट से तय होती है. वहीं यह काम मशीन से बेहतर इंसान की आंखें करती हैं. जहां उसमें कितनी चमक है और वह कितनी रोशनी बिखेरता है, यह उसकी क्लैरिटी से जुड़ा है. यह हीरे को तराशने वाले के शिल्प कौशल पर भी निर्भर करता है. रोशनी हीरे में ऊपर से घुसती है और अंदर फैलती है. छोटे-छोटे कई कट शानदार इफ़ेक्ट्स पैदा करते हैं.

 

 

बतादें की हीरे को अच्छे से तराशा गया हो तो रोशनी उसके अंदर नाचती हुई सी लगती है. जेमोलॉजिकल इंस्टीट्यूट ऑफ़ अमरीका के चीफ़ क्वालिटी अफ़सर जॉन किंग एक पेशेवर डायमंड और जेमस्टोन ग्रेडर हैं. हीरों की ग्रेडिंग करते समय समय वह कई ख़ूबियों को देखते हैं. हीरे और दूसरे रत्न क्लैरिटी, कलर, कट और कैरेट के पैमाने पर आंके जाते हैं. किसी रत्न की क़ीमत शुद्धता, रंगहीनता या कोई विशेष रंग और आकार, इन सब पर निर्भर करती है.

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लेकिन किसी रत्न में ये सारी ख़ूबियां एक साथ मिल जाएं तो वह दुर्लभ और बेशक़ीमती बन जाता है.किंग कहते हैं, “मेरी आंखों की रोशनी सामान्य है. जो दूसरों से अलग है वह प्रशिक्षण और लगातार निरीक्षण से आया है.” वह गहराई और बारीकी से बारीक अंतर को देखने की कोशिश करते हैं. किंग ख़ूबसूरती से तराशे गए एक गोलाकार हीरे को माइक्रोस्कोप की रोशनी के सामने ले जाकर उसकी जादूगरी दिखाते हैं.

जहां वह कहते हैं की गोल हीरा अपने सतह के पार रौशन और अंधेरे क्षेत्रों का एक सुंदर पैटर्न बनाता है.” फिर वह उसी आकार और रंग के दूसरे हीरे को माइक्रोस्कोप की रोशनी के सामने ले जाते हैं. दूसरे हीरे से बिखर रही रोशनी को देखकर वह कहते हैं, “यह पहले हीरे जैसा नहीं है.” दूसरे हीरे में खनिज की कुछ मात्रा रह गई है. उसकी शुद्धता का ग्रेड भी अलग है. उसमें पहले हीरे की तरह रोशनी और अंधेरे का पैटर्न नहीं बनता.

खबरों के मुताबिक इमेराल्ड कट वाले हीरे में लंबी सपाट सतह होती है जो रोशनी का अलग इफेक्ट पैदा करती है. इसमें रोशनी को परावर्तित करने के लिए कम कट्स होते हैं जिससे ऐसा लगता है कि इसमें रोशनी धीरे-धीरे समा रही हो. लंदन के ज्वेलर ग्राफ के डेनियल बकबी कहते हैं, “डायमंड ग्रेडर हीरे को रोशनी के सामने ले जाकर और उससे फैल रही रोशनी को देखकर उसकी क्वालिटी के बारे में जान लेते हैं.” “यदि अच्छे से तराशा गया हो तो यह चमकदार दिखेगा फीका नहीं.

दरअसल इसके किनारे बहुत मोटे कटे हों तो वहां काला घेरा बन जाएगा.” हीरे की क़ीमत पर छोटी-छोटी चीजों से भी फ़र्क़ पड़ जाता है.बकबी कहते हैं, “रत्नों के रंग का आंकलन करने के लिए हर काम आंख से किया जाता है. रत्न के रंग की पहचान इंसान ही करते हैं, लेकिन आप क्या तलाश रहे हैं यह वास्तव में उस रत्न पर निर्भर करता है. उदाहरण के लिए रूबी (माणिक्य) की क़ीमत उसके गहरे लाल रंग से होती है. माणिक्य के दीवाने पिजन ब्लड रूबी (रत्नराज) की तलाश में रहते हैं.” बकबी कहते हैं, “माणिक्य तेज़ी से लुप्त हो रहे हैं इसलिए बाज़ार में गुलाबी रंग के कई पत्थर आ गए हैं, मगर उनको कोई नहीं पूछता. माणिक्य और नीलम एक ही पत्थर के दो रूप हैं.

 

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