जानिए इन नेताओ ने आखिर क्यों अपने परिवार वालो से लिए लोन ….

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी मां सोनिया गांधी से लोन लिया है, समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने अपने बेटे से, तो एक्टर से नेता बने शत्रुघ्न सिन्हा ने अपनी बेटी से. आखिर माजरा क्या है? राजनेता आखिर परिवार के सदस्यों से लोन लेना क्यों पसंद करते हैं,

लोन

आइए जानते हैं इसके क्या फायदे –

बता दें की लोकसभा चुनाव में दाखिल एफिडेविट में राहुल गांधी ने खुलासा किया है कि उन्होंने अपनी मां सोनिया गांधी से 5 लाख रुपये का ‘पर्सनल लोन’ लिया है.

जहां उनके ऊपर किसी और तरह का कर्ज नहीं है. रायबरेली से चुनाव लड़ रही सोनिया गांधी ने किसी भी तरह का लोन नहीं लिया है. दूसरी तरफ, मैनपुरी से चुनाव लड़ रहे मुलायम सिंह यादव ने अपने बेटे अखिलेश यादव से 2.13 करोड़ रुपये का लोन लिया है.

वहीं मुलायम सिंह यादव ने अपने हलफमाने में यह भी खुलासा किया है कि उन्होंने अपने परिवार के दूसरे सदस्यों पत्नी साधना यादव को 6.75 लाख रुपये, बेटे प्रतीक यादव को 43.7 लाख रुपये और एक और सदस्य मृदुला यादव को 9.8 लाख रुपये का लोन दिया है.

देखा जाये तो बीजेपी के पूर्व नेता और अब कांग्रेस में शामिल हो चुके एक्टर से नेता बने शत्रुघ्न सिन्हा पटना साहिब से चुनाव लड़ रहे हैं. हलफनामे के मुताबिक उन्होंने अपनी बेटी सोनाक्षी सिन्हा से 10.6 करोड़ रुपये का लोन लिया है.

लेकिन इसके अलावा उन्होंने खुद अपने बेटे लव सिन्हा को 10 लाख और पत्नी पूनम सिन्हा को 80 लाख रुपये का लोन/एडवांस दिया है. पूनम सिन्हा समाजवादी पार्टी के टिकट पर लखनऊ से चुनाव लड़ रही हैं. उनके सामने बीजेपी नेता राजनाथ सिंह मैदान में हैं. पूनम सिन्हा ने भी बेटी सोनाक्षी सिन्हा से 16 करोड़ रुपये का लोन लिया है.

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की बेटी मीसा भारती पाटलीपुत्र से आरजेडी कैंडिडेट हैं. उन्होंने खुद तो कोई लोन नहीं लिया है, लेकिन उनके पति शैलेश कुमार ने आईसीआईसीआई बैंक से 9.85 लाख रुपये का पर्सनल लोन लिया है. दक्ष‍िण मुंबई से कांग्रेस कैंडिडेट मिलिंद देवड़ा ने अपनी पत्नी पूजा से 4.96 करोड़ रुपये का एडवांस ले रखा है.

दरअसल टैक्स मामलों के जानकार और सर्टि‍फाइड फाइनें‍शि‍यल प्लानर बलवंत जैन कहते हैं, ‘अपने परिवार के किसी सदस्य से लोन लेने में नेताओं को कई फायदा होता है.

पहली वजह तो यह है कि यह लोन वे आसानी से ले सकते हैं और इसके लिए उन्हें कोई ब्याज नहीं देना पड़ता. बड़े लोन में ब्याज की रकम बहुत ज्यादा होती है, तो अगर ब्याज रहित लोन मिला तो उन्हें काफी राहत मिलती है.

जहां दूसरी तरफ, लोन देने वाले सदस्य को इनकम टैक्स में बचत होती है. मान लीजिए किसी नेता ने एक करोड़ रुपये को एफडी या किसी अन्य साधन में लगाया है, तो उस पर उसे ब्याज या अन्य तरीके से जो आमदनी होती है, उस पर टैक्स देना पड़ता है. तो वे अपने पैसे को परिवार के किसी सदस्य को देकर इस तरह की टैक्स देनदारी से बच जाते हैं.’

बलवंत जैन कहते हैं कि यह भ्रष्टाचार का भी एक तरीका हो सकता है. उन्होंने कहा, ‘कई बार यह भी देखा जाता है कि भ्रष्टाचार के तहत किसी सौदे में कमीशन आदि नेता अपने नाम से नहीं बल्कि अपने परिवार के किसी सदस्य के खाते में बिजेनस इनकम या अन्य किसी रूप में लेते हैं और बाद में उनका परिजन वह रकम उन्हें लोन के रूप में ट्रांसफर कर देता है.

 

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