जानिए इन तीन फर्जी वीडियो कि वजह से तेजी से फैल रहीं ‘डरावनी’ अफवाहें , जाने इसकी पूरी हकीकत…

सोशल मीडिया के माध्यम से लोग अफवाहे फ़ैलाने से पीछे नहीं हटते हैं। वहीं देखा जाये तो इन अफवाहों कि वजह से लोग काफी दहशत में आ जाते हैं. बतादें कि आगरा जिले में बच्चा चोरी की अफवाहें तीन फर्जी वीडियो से फैल रही हैं। वहीं तीनों को सोशल मीडिया पर एक साथ शेयर किया जा रहा हैं। जहां ताजनगरी में ही हजारों लोगों के पास ये वीडियो पहुंचे हैं। इनमें सबसे डरावना वीडियो बच्चों के शवों का है।

 

जानिए इन तीन फर्जी वीडियो कि वजह से तेजी से फैल रहीं 'डरावनी' अफवाहें , जाने इसकी पूरी हकीकत...

वहीं इस वीडियो में बच्चों के अंग कटे हुए नजर आ रहे हैं। साइबर सेल की पड़ताल में यह वीडियो फर्जी पाया गया है। पुलिस का कहना है कि यह बहुत पुराना वीडियो है। इससे सुनने से ही साफ हो जाता है कि यह देश के बाहर का है।

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जहां एसएसपी बबलू कुमार ने बताया कि आगरा ही नहीं, आसपास के जिलों से भी जानकारी करा ली गई है। ऐसा कोई गिरोह सक्रिय नहीं मिला है जो बच्चों की चोरी कर रहा हो। यह भी मालूम कराया जा रहा है कि ये वीडियो कहां से शुरू हुए। उन्होंने कहा कि इन्हें भूल से भी शेयर न करें। अगर किसी के पास वीडियो आए तो उसे साइबर सेल को भेज दें।

दरअसल बच्चों के शव का वीडियो (यह बहुत पुराना वीडियो है, जिसमें छेड़छाड़ की गई है, वैसे ही यह हादसे के बाद का वीडियो है, इसमें सुनाई दे रही भाषा भी देश से बाहर की लग रही है.बच्चा चोर की पिटाई का वीडियो (पुलिस का कहना है कि यह बच्चा चोर बताकर पीटे गए युवक का वीडियो है, कई जगह बेकुसूरों को इसी तरह पीटा गया है.
जहां घर में घुसते युवकों का वीडियो पुलिस का कहना है कि चोरी की कई वारदात में सीसीटीवी फुटेज से ऐसे वीडियो आ चुके हैं. भिखारी ज्यादा बन रहे भीड़ तंत्र का शिकार
अफवाहों के कारण हुई 20 घटनाओं में से 12 यानी 60 फीसदी भिखारियों के साथ हुई हैं। चार घटनाएं (दस फीसदी) मानसिक रूप से बीमार लोगों के साथ हुई हैं, ये लोग बता नहीं पाते हैं कि क्यों घूम रहे हैं? पुलिस के रिकार्ड में बच्चा चोरी की कोई घटना हाल फिलहाल में नहीं हुई है।

वरिष्ठ मनोरोग चिकित्सक डॉ केसी गुरनानी का कहना है कि सुनियोजित ढंग से अफवाह फैलाई जा रही है। इससे पढ़े-लिखे लोग भी प्रभावित हो रहे हैं। यह मास हिस्टीरिया का मामला है।इसमें लोगों के मन मस्तिष्क में अफवाह सत्य प्रतीत होने का आभास होता है। वो बिना देखे और पड़ताल किए ही उसे सत्य मानकर व्यवहार करने लगते हैं। इससे पहले चोटी काटने की अफवाह में भी यही हुआ था। यह अस्थायी रहता है।

 

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