जयललिता ने डीएमके से कचाथीवू पर रुख स्पष्ट करने को कहा

जयललिताचेन्नई | तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता ने सोमवार को द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के नेता एम.के. स्टालिन से कचाथीवू द्वीप श्रीलंका को सुपुर्द करने के मुद्दे पर रुख स्पष्ट करने को कहा है। मुख्यमंत्री की यह प्रतिक्रिया तमिलनाडु विधानसभा में विपक्ष के नेता के यह कहने के बाद आई है कि केंद्र सरकार ने 1974 में कचाथीवू को श्रीलंका को सौंपने से पहले तमिलनाडु सरकार से परामर्श नहीं किया था।

डीएमके सरकार हस्तांतरण का विरोध किया था

जयललिता ने कहा, “तत्कालीन डीएमके प्रमुख (स्टालिन के पिता) एम. करुणानिधि ने विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित कर हस्तांतरण पर चर्चा बंद कर दी थी।”

उन्होंने कहा कि उस समय पारित प्रस्ताव पर करुणानिधि ने विधानसभा को बताया था कि केंद्र सरकार ने कचाथीवू को श्रीलंका के सुपूर्द करने के बारे में तमिलनाडु सरकार को कोई संकेत या सूचना नहीं दी थी। जयललिता ने कहा कि 2013 में ‘तमिल ईलम समर्थक संगठन’ (टीईएसओ) द्वारा पारित एक प्रस्ताव के मुताबिक, डीएमके सरकार ने कचाथीवू के हस्तांतरण का विरोध किया था।

जयललिता ने टीईएसओ के प्रस्ताव का हवाला देते हुए कहा कि (भारत और श्रीलंका के बीच) करार पर हस्ताक्षर होने के बाद डीएमके सरकार के जोर देने पर तमिलनाडु के मछुआरों को मछली पकड़ने और अपने जाल सुखाने के लिए द्वीप का इस्तेमाल करने देने जैसी स्थितियों को इसमें शामिल किया गया था। जयललिता ने स्टालिन से सार्वजनिक रूप से पार्टी का रुख स्पष्ट करने को कहा है।

कचाथीवू तमिलनाडु और श्रीलंका को विभाजित करने वाले संकरे ‘पाक स्ट्रेट’ में रामेश्वरम से दूर 285 एकड़ में फैला द्वीप है, जो कि कभी रामनाथपुरम जिले का हिस्सा था। 1974 और 1976 में द्विपक्षीय समझौते के बाद कचाथीवू को श्रीलंका को सौंप दिया गया था। द्वीप के पास का समुद्र समुद्री संपदा से संपन्न है, जो कि भारतीय और श्रीलंकाई मछुआरों के बीच निरंतर संघर्ष का कारण है।

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