जमानत के आदेश में ‘कुमार’ मिस होने पर 8 महीने तक जेल में रहा युवक,कोर्ट ने जेल अधीक्षक को किया तलब

प्रयागराज

उत्तर प्रदेश के एक जेल में बंद एक आरोपी को कोर्ट के द्वारा जमानत मिल गयी लेकिन बीच का नाम मिस होने की वजह से उसे 8 महीने से जेल में रहना पड़ा,
जब खबर की जानकारी हाई कोर्ट तक पहुंची तो कोर्ट मांमले को संज्ञान में लेते हुए फ़ौरन जेल अधीक्षक को रिहाई का आदेश देते हुए कोर्ट में तालाब होने को कहा,इसके साथ ही भविष्य में ऐसे मामलो में सावधानिया बरतने की चेतवानी दीं।

हाई कोर्ट के जस्टिस जे. जे. मुनीर ने सिद्धार्थनगर के जेल अधीक्षक राकेश सिंह को पेश होकर इस बात का जवाब देने का निर्देश दिया है कि उनके खिलाफ उचित विभागीय जांच क्यों ना की जाए? हाई कोर्ट को इस बारे में जानकारी तब हुई, जब आवेदक ने नाम में सुधार के लिए ऐप्लिकेशन भेजी।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने महज छोटी सी तकनीकी गलती के लिए जेल में रहने के मामले में गंभीरता से संज्ञान लिया। दरअसल, जेल में बंद निवेदक की जमानत की अर्जी सिद्धार्थनगर के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने 4 सितंबर 2019 को खारिज कर दी थी। इसके बाद उसने इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

मिस हो गया था नाम के बीच का ‘कुमार

9 अप्रैल 2020 को हाई कोर्ट ने जमानत पर रिहाई का आदेश दे दिया था। लेकिन उसे जमानत नहीं मिली क्योंकि जेल के अधिकारियों ने रिलीज ऑर्डर के अनुपालन से इनकार कर दिया। ऐसा इसलिए क्योंकि आदेश में नाम ‘विनोद बरूआर’ लिखा हुआ था, जबकि रिमांड शीट में ‘विनोद कुमार बरूआर’ नाम दर्ज था।

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