छत्तीसगढ़ की काशी में प्राचीन शिवलिंग तोड़े जाने के बाद पथराव, कई पुलिसकर्मी घायल

छत्तीसगढ़ की काशीरायपुर। छत्तीसगढ़ की काशी माने जाने वाले खरौद गांव में आठवीं शताब्दी का लक्ष्मणेश्वर शिवलिंग ग्रामीणों को टूटा मिला। इसकी जानकारी जब पूजा-अर्चना करने पहुंचे लोगों को हुई, तब पूरे गांव में बवाल मच गया। आक्रोशित लोगों ने पुजारी के घर पर पथराव कर दिया, जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल हो गए।

स्थिति को काबू में करने के लिए पुलिस ने पूरे गांव को छावनी में तब्दील कर दिया। स्थिति बिगड़ती देख जिला प्रशासन व पुलिस के उच्चाधिकारी मौके पर पहुंचे, जहां लोगों की मांग पर मंदिर की देखरेख के लिए अस्थायी समिति का गठन किया गया है।

छत्तीसगढ़ की काशी में पथराव

जांजगीर-चांपा के एएसपी पंकज चंद्रा ने मंगलवार सुबह बताया कि सोमवार को लक्ष्मणेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ सुबह से लगी रही। लोग पूजा करने पहुंच रहे थे। इस दौरान 10 बजे के करीब शिवलिंग का एक हिस्सा टूटा दिखा। इस बात की जानकारी बाहर खड़े लोगों को हुई तो वे भी भीतर आकर देखने लगे। इस दौरान वहीं पर शिवलिंग के एक भाग का टूटा हुआ करीब चार इंच का टुकड़ा मिला।

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इस बात की जानकारी श्रद्धालुओं के साथ नगरवािसयों को हुई तो जनआक्रोश भड़क उठा। महिलाओं के साथ स्थानीय नागरिक बड़ी संख्या में मंदिर पहुंचे और धार्मिक स्थल के संरक्षण पर सवाल उठाते हुए हंगामा शुरू कर दिया।

उन्होंने जानकारी दी कि स्थिति देखकर पुजारियों ने मंदिर का मुख्यद्वार बंद कर दिया। इसके बाद घटना की सूचना पुलिस को हुई तो शिवरीनारायण टीआई रश्मिकांत मिश्रा दल-बल सहित मौके पर पहुंचे। कुछ देर में एसडीएम अजय किशोर लकड़ा, तहसीलदार के साथ नजदीकी थानेदार भी पहुंचे। इस दौरान पुलिस व प्रशासनिक टीम ने हंगामा कर रहे लोगों से बात की तो मौके पर उपस्थित लोगों कहा कि ऐतिहासिक मंदिर का संरक्षण करने ट्रस्ट बनाया जाए और लापरवाह पुजारियों को बदला जाए।

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दूसरी ओर पुजारियों का कहना था कि शिवलिंग खंडित नहीं हुआ है, उसका क्षरण हो रहा है। इस मामले को लेकर पूरे दिन हंगामा होता रहा। बाद में लोगों की सहमति पर 25 लोगों की एक समिति बनाकर पुजारी रखने का निर्णय लिया गयाए ट्रस्ट बनाने की दिशा में पहल करने की बात हुई, तब मामला शांत हुआ।

लक्ष्मणेश्वर मंदिर का निर्माण आठवीं शताब्दी में सिरपुर के चंद्रवंशी राजाओं की ओर से कराया गया था। इसके बाद 11वीं शताब्दी में हैय-हैय वंशी राजाओं ने इसका जीर्णोद्धार कराया था। इस ऐतिहासिक महत्व के मंदिर को राज्य पुरातत्व विभाग की देखरेख में संरक्षित स्मारक के रूप में घोषित किया गया है और मंदिर परिसर में एक संरक्षक की नियुक्ति की गई है।

अनुविभागीय अधिकारी राजस्व अजय किशोर लकड़ा ने बताया कि गांव में स्थिति फिलहाल तनावपूर्ण व नियंत्रण में है। दोनों पुजारी परिवार के घर बल तैनात किया गया है। साथ ही गांव में पुलिस लगातार गश्त कर रही है। मंदिर परिसर में स्थायी कैम्प लगाकर स्थिति की समीक्षा की जा रही है।

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