केजरीवाल से परेशान हुए चुनाव आयुक्त ने ले लिया सबसे कट्टर फैसला, भड़के नसीम जैदी बोले…

चुनाव आयोगनई दिल्ली। आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविन्द केजरीवाल की हाल ही में की गई एक टिप्पणी से चुनाव आयुक्त काफी आहत हैं। उनकी नाराजगी इस बात से जाहिर होती है कि उन्होंने इस मामले में मुख्य चुनाव आयुक्त एसएनए जैदी को लिखित सूचना तक दे डाली। चुनाव आयोग केजरीवाल के इस मामले में बड़ी ही गंभीरता से विचार कर रहा है। क्योकी की गयी टिप्पणी सिर्फ आयुक्त पर नहीं बल्कि पूरे आयोग की भूमिका पर सवालिया निशान लगाती है। बता दें इवीएम विवाद मामले में केजरीवाल ने आयोग पर विश्वास न होने की बात की, साथ ही उनके कार्य स्तर पर भी संदेह जताया।

चुनाव आयोग केजरीवाल से आहत   

आयुक्त ओ.पी. रावत ने इस कारण मुख्य चुनाव आयुक्त से अपील करी कि केजरीवाल के किसी भी मामले से उन्हें दूर रखा जाए। इस बाबत रावत ने मुख्य चुनाव आयुक्त एसएनए जैदी को लिखित सूचना भी दी।

ख़बरों के मुताबिक़ मुख्य चुनाव आयु्क्त एसएनए जैदी अपने साथी आयुक्त ओ पी रावत की चिट्ठी पर जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेंगे। क्योंकि रावत ने अपनी चिट्ठी में खुद को आप पार्टी के मामलों से दूर रखने की गुजरिश की है।

वहीं यह भी खबर है कि आयोग की शुक्रवार को हुई सामान्य बैठक में भी चुनाव आयुक्त रावत ने हिस्सा लिया। इसमें ईवीएम और वीवीपैट से संबंधी राजनीतिक दलों की शिकायतों पर भी चर्चा हुई।

बता दें दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने एक इंटरव्यू में ये टिप्पणी की थी कि चुनाव आयोग पर उनका विश्वास नहीं है, क्योंकि उन्होंने पीएम मोदी के साथ गुजरात में काम किया था।

लिहाजा उन पर विश्वास नहीं किया जा सकता कि वो हमारी शिकायतों पर निष्पक्ष रहेंगे। इसके बाद ओ.पी. रावत ने ये कहते हुए खुद को आम आदमी पार्टी से जुड़े मामलों की सुनवाई से अलग करने की इच्छा जताई, ताकि केजरीवाल और आम जनता का आयोग में विश्वास बना रहे।

बहरहाल, आयोग के पास आम आदमी पार्टी के कई मामले विचाराधीन हैं। उनमें सबसे ताजा तो ईवीएम की विश्वसनीयता को लेकर है वहीं आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों के लाभ का पद पर होने का मामला भी काफी अहम है।

इस मामले में आयोग ने सभी पक्षों की विस्तृत दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। यानी अब वो राष्ट्रपति तक अपने विचार भेज देंगे। क्योंकि राष्ट्रपति ने उनसे इस मामले में सलाह मांगी थी।

वहीं आम आदमी पार्टी के 27 विधायकों का मामला भी अहम हैं जिनको दिल्ली सरकार के अस्पतालों में रोगी कल्याण विभाग का प्रभारी नियुक्त किया गया था।

जानकारी के अनुसार इस चिट्ठी पर आगे कैसे कदम उठाया जाए इस बारे में भी आयोग बैठक में विचार करेगा।

ये अलग बात है कि रावत के साथी और सीनियर चुनाव आयुक्त ए के जोती की भी विश्वसनीयता पर केजरीवाल ने सवालिया निशान लगाया था। लेकिन जोती ने साफ कर दिया कि वो निष्पक्ष और स्वतंत्र रूप से अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी निभाएंगे। किसी भी सूरत में वो अपने आपको किसी भी मामले की सुनवाई से अलग नहीं करेंगे।

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