चिंतामण गणेश मंदिर : यहां मन्नत मांगने से पूरी होती है हर दुआ

चिंतामण गणेश मंदिरउज्‍जैन के प्रसिद्ध श्री चिंतामण गणेश मंदिर में भगवान के तीन रूपों की प्रतिमा बहुत प्राचीन है। बताया जाता है कि यह चिंतामण गणेश प्रतिमा माता सीता द्वारा स्थापित षट् विनायकों में से एक है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब भगवान श्री राम ने माता सीता और लक्ष्मण के साथ अवंतिका खंड के महाकाल वन में प्रवेश किया, तब अपनी यात्रा की निर्विघ्नता के लिए षट् विनायकों की स्थापना की थी। उन्‍हीं षट् विनायकों में से एक विनायक भगवान चिंतामण गणेश हैं।

चिंतामण गणेश मंदिर एक विश्व प्रसिद्ध स्थल है और लोगों का यह विश्वास है कि‍ यहां मन्नत मांगने वालों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। तो आइए आज जानते हैं कि इस मंदिर की महिमा क्‍या है और यहां तक कैसे पहुंचा जाए-

चिंतामण गणेश मंदिर की महिमा

इस अद्भुत मंदिर की मूर्तियां स्वयंभू हैं, इसलिए यह सीढ़ियां उतरने के बाद नीचे गर्भगृह में स्थित है। गर्भगृह में प्रवेश करते ही हमें श्री गणेश की तीन प्रतिमाएं दिखाई देती हैं। सबसे बड़ी गणेश प्रतिमा वाले श्री चिंतामण गणेश हैं, उनके पास ही बीच में श्री इच्छामण गणेश और तीसरे हैं श्री सिद्धि विनायक। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर की पूजा स्वयं श्री राम, लक्ष्मण और माता सीता ने की थी।

माना जाता है कि यहां दर्शन करने से मन की चिंताएं दूर होती है। श्रद्धालु यहां अपनी श्रद्धा भक्ति से मन्नत के लिए धागा बांधते हैं और उल्टा स्वास्तिक बनाते हैं। मान्यता के अनुसार इस मंदिर में मन्नत मांगने के लिए दूध, दही, चावल और नारियल में से किसी एक वस्तु को चढ़ाया जाता है और जब वह इच्छा पूर्ण हो जाती है तब उसी वस्तु का यहां दान किया जाता है।

वैसे तो इस मंदिर में रोज ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं लेकिन बुधवार के दिन दर्शन का विशेष महत्व होता है। प्रत्येक बुधवार को यहां पर्व की तरह मनाया जाता है।

मंदिर का इतिहास

श्री चिंतामण गणेश मंदिर परमारकालीन मंदिर है और इसका पुनर्निर्माण होल्कर रियासत की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था। कोई भी शुभ कार्य जैसे नया व्यवसाय, विवाह इत्यादि में सबसे पहले इस मंदिर में पूजन-अर्चन कराया जाता है।

कार्य निर्विघ्न संपन्न होने का आशीर्वाद लिया जाता है। इस मंदिर के शिखर पर सिंह विराजमान है। मंदिर के सामने एक अतिप्राचीन बावड़ी है जिसे लक्ष्मण बावड़ी कहा जाता है। बावड़ी करीब 80 फ़ीट गहरी है।

कैसे पहुंचे

चिंतामण गणेश मंदिर, उज्जैन के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक है। निकटतम हवाई अड्डा इंदौर यहां से करीब 60 किलोमीटर दूर है। रेल, बस और टैक्सियों से भी यहां पहुंचा जा सकता है। ठहरने के लिए यहां होटल और धर्मशालाएं भी पर्याप्त मात्रा में मौजूद हैं।

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