
जीवन में ‘संतुष्टि’ का होना बेहद जरूरी है. संतुष्टि हमारे जीवन को एक गति प्रदान करती है. भाग-दौड़ भरी जिंदगी में हर आदमी ये सोचने में व्यस्त है कि इस जमाने में भला इस संतुष्टि को कैसे लाएं? हालांकि, कहा ये भी जाता है कि इंसान जहां संतुष्ट हो जाता है, वहीं से उसका विकास रुक जाता है. कुछ हद तक ये सही भी है. मगर ये भी सही है कि संतुष्टि नहीं मिलने पर लोग गलत रास्ता भी अपना लेते हैं. जहां इंसानों में एक-दूसरे से आगे बढ़ने की होड़ हो, वहां संतुष्टि का होना असंभव सा दिखता है.
दरअसल, संतुष्ट होना या ना होना प्राकृतिक घटनाक्रम है. इंसान को वैसे तो हर मामले में संतुष्ट होना चाहिए, मगर कुछ मामले ऐसे हैं, जिनमें कभी भी संतुष्ट नहीं होना चाहिए. क्योंकि अगर इन तीन चीजों से आप संतुष्ट हो जाते हैं, तो समझिये आपका विकास रुक जाएगा और आप कभी सफल इंसान नहीं बन सकते.
1. ज्ञान-
आचार्य चाणक्य के अनुसार, ज्ञान अर्जित करने की कोई सीमा नहीं होती. आप जितना ज्ञान अर्जित कर सकें, वो आपको नुकसानदेह नहीं होगा. ज्ञान की भूख कभी शांत नहीं होती है, मगर फिर भी आप इस भूख को शांत करते हैं, तो ये आपके लिए खुद हानिकारक होगा. ज्ञान के मामले में न कोई पारंगत हो पाया है और न ही कोई तृप्त. इसलिए ज्ञान की भूख कभी मिटने नहीं देनी चाहिए. आप भले ही लाख पढ़ाई कर लें, मगर ज्ञान की भूख कभी मिटती नहीं. इसलिए ज्ञान के मामले में कभी संतुष्ट मत होना. क्योंकि जिस दिन आप ज्ञान की भूख को मिटा देंगे, उस दिन से आपके लिए सफलता के मार्ग बंद हो जाएंगे और आपका विकास रुक जाएगा.
2.दान-
वेदों और शास्त्रों में दान को पुण्य बताया गया है. लोग कहते हैं कि इंसान जितना ज्यादा दान करता है, भगवान उसका घर उतना ही भरते हैं. आपने यह विरले ही सुना होगा कि हमें कितना पुण्य कमाना चाहिए. क्योंकि ये भी एक ऐसी चीज है, जो कभी पूरी नहीं होती. हम जितना ज्यादा दान करेंगे हमें उतना ही पुण्य मिलेगा. इसलिए दान-पुण्य करते रहना चाहिए. यह हमें न सिर्फ खुशी देता है, बल्कि हर तरह से कल्याण भी करता है.
3. जप-
हम हमेशा अपने जीवन की समस्याओं और शिकायतों को लेकर चिंतित रहते हैं. बात-बात पर ईश्वर को कोसते हैं, उन्हें बुरा-भला कहते हैं. मगर एक बार भी उनका जप नहीं करते हैं. लेकिन याद रखिये जीवन को खुश बनाए रखने के लिए ईश्वर का जप करना बहुत जरूरी है. हालांकि, ऐसा भी नहीं है कि आप अपना काम धंधा छोड़कर सिर्फ भगवान का जप करें.
हालांकि चाणक्य ने जीवन को सुखी बनाए रखने के लिए इस बात का भी जिक्र किया है कि इंसान को किन-किन चीजों से संतुष्ट रहना चाहिए.