घर की नींव रख रहें हैं तो ध्यान दें इन वास्तु की बातों का

 

घर की नींव, भवन निर्माण का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव होता है. नींव की खुदाई में पूजन और दिशा का ज्ञान बहुत जरूरी है. आइए जानें विस्तार से …

 

ghar ki neev

भूमि पूजन के बाद नींव की खुदाई ईशान कोण से ही प्रारंभ करें. ईशान के बाद आग्नेय कोण की खुदाई करें. आग्नेय के बाद वायव्य कोण, वायव्य कोण के बाद नैऋत्य कोण की खुदाई करें. कोणों की खुदाई के बाद दिशा की खुदाई करें. पूर्व, उत्तर, पश्चिम और दक्षिण में क्रम से खुदाई करें.

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नींव की भराई, नींव की खुदाई के विपरीत क्रम से करें. सबसे पहले नैऋ त्य कोण की भराई करें. उसके बाद क्रम से वायव्य, आग्नेय, ईशान की भराई करें. अब दिशाओं में नींव की भराई करें. सबसे पहले दक्षिण दिशा में भराई करें. अब पश्चिम, उत्तर व पूर्व में क्रम से भराई करें.

नींव पूजन में एक छोटे कछुए के ऊपर तांबे का कलश स्थापित किया जाना चाहिए. कलश के अंदर चांदी के सर्प का जोड़ा, लोहे की चार कील, हल्दी की पांच गांठें, पान के 11 पत्ते, तुलसी की 35 पत्तियां, मिट्टी के 11 दीपक, छोटे आकार के पांच औजार, सिक्के, आटे की पंजीरी, फल, नारियल, गुड़, पांच चौकोर पत्थर, शहद, जनेऊ, राम-नाम पुस्तिका, पंच रत्न, पंच धातु रखना चाहिए. समस्त सामग्री को कलश में रखकर कलश का मुख लाल कपड़े से बांधकर नींव में स्थापित करना चाहिए.

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