गोमती मारीमुथु ने रखा पिता का मान, ट्रेनिंग के पैसे जुटाने में जानवरों का खाना खाते थे पिता, अंत में जीत लिया गोल्ड !…

गोमती मारीमुथु, एक भारतीय एथलीट हैं. तमिलनाडू के तिरुचिरापल्ली से हैं. एक किसान परिवार से आती हैं. गोमती ने अपनी पढ़ाई तिरुचिरापल्ली के होली क्रॉस कॉलेज से की है. इनकी एक बहन और एक बड़ा भाई है.

जिसमें से ये एकलौती हैं, जिन्होंने कॉलेज में पढ़ाई की है. गोमती स्पोर्ट्स कोटे से बेंगलुरु के इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में नौकरी कर रही हैं. नौकरी से समय निकाल कर वो एथलीट ट्रेनिंग के लिए जाती हैं.

गोमती को एथलीट बनाने में उनके पिता ने अहम भूमिका निभाई है. उनके पिता मारीमुथु गोमती के बड़े सपोर्ट सिस्टम रहे हैं. गोमती की मां का नाम रासाथी है, जो 52 साल की हैं. इनका परिवार आर्थिक रूप से काफी कमजोर था. इनको अपनी बेटी की जीत की खबर भी अपने पड़ोसी से मिली थी.

 

गोमती चर्चा में क्यों बनी हुई हैं?

कतर एक देश है. जिसकी राजधानी है दोहा. यहां खलीफा इंटरनेशनल स्टेडियम है, जहां पर में 23वें एशियन एथलेटिक चैम्पियनशिप गेम्स हुए. इसमें भारत की गोमती मारीमुथु ने भारत के लिए गोल्ड जीता है.

 

इस उपलब्धि के बाद उन्होंने अपनी संघर्ष कहानी बताई. जिसमें उन्होंने कहा-

एथलेटिक्स में अच्छी ट्रेनिंग मिले, उसके लिए पिता मुझे अच्छा खाना खिलाते और खुद जानवरों (गाय-भैंस) के लिए रखा खाना खाते थे.

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– एशियन एथलेटिक चैम्पियनशिप में भारत के लिए पहला मेडल लाने वाली महिला गोमती मारीमुथु हैं. गोमती ने 800 मीटर रेस को 2 मिनट 7 सेकेंड में पूरा किया और रिकॉर्ड सेट किया. इन्होंने चीन की चुनयु वांग को हराया है. गोमती इस प्रतियोगिता में दो खिलाड़ियों से पीछे थीं, लेकिन बाद में उन्होंने उन दोनो को हराया और भारत के लिए गोल्ड ले आईं.

– 2013 में पूना में एशियन चैम्पियनशिप गेम्स हुए थे. गोमती फाइनल में पहुंची और 800 मीटर रेस में पार्टिसिपेट किया था. लेकिन तब वो 7वीं रैंक पर थीं.

– 2016 में गोमती के पिता की कैंसर से मौत हो गई. इससे गोमती की मां डिप्रेशन में चली गईं उसके कुछ महीनों बाद गोमती के पर्सनल ट्रेनर गांधी की हार्ट अटैक से मौत हो गई. जिसके बाद उन्होंने खुद ही ट्रेनिंग शुरू की.

– इन दो हादसों के बाद गोमती काफी दुखी थीं. उन्हें कमर में भी चोट लग गई. जिसको ठीक होने में दो साल लग गए. जिससे गोमती कॉमनवेल्थ गेम्स, एशियन गेम्स में पार्टिसिपेट करने से चूक गईं.

– गोमती के मुताबिक, उनकी दोस्त श्रुति ने उन्हें कहा था कि नैचुरल टैलेंट को वो नेक्सट लेवल पर लेकर जाएं. जिस बात से वो काफी प्रभावित हुईं थीं.

 

मीडिया को दिए गए इंटरव्यू में गोमती ने कहा कि वो बहुत खुश हैं. उनके लिए 2019 काफी अच्छा रहा है. उन्होंने मीडिया से कहा,

‘कुछ साल मेरे जीवन के बेहद बुरे थे. लेकिन कभी उससे हार मानना मेरे मन में नहीं आया. मुझे अपनी काबिलियत पर भरोसा था’.

 

– 2019 में पटियाला में फेडरेशन कप हुआ. जिसमें गोमती ने पार्टिसिपेट किया था. इसमें भी उन्होंने 2 मिनट 3 सेकेंड में रेस पूरी की थी. गोमती की मां और उनका पूरा गांव उनके गोल्ड जीतने पर बहुत खुश है.

 

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